ब्राजिलिया। डेयरी उत्पाद निर्माता कंपनी अमूल के प्रबंध निदेशक रुपिंदर सिंह सोढ़ी ने कहा कि उनकी कंपनी डेयरी उद्योग में युवाओं को आकर्षित करने के लिए ‘काउ टू कंज्युमर’ जैसे नवाचारी कार्यक्रम शुरू कर रही है। उन्होंने कहा कि कंपनी का उद्देश्य डेयरी उद्योग को शहरों की ओर पलायन कर रहे युवाओं के लिए अपेक्षाकृत आकर्षित व व्यावहारिक बनाना है।सोढ़ी ने कहा कि वर्ष 1970 में भारत में प्रति व्यक्ति दुग्ध खपत 111 ग्राम थी जो अब बढ़कर 350 ग्राम हो गयी है। यह प्रति वर्ष दो प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। वर्ष 2050 तक दूध की मांग 54 करोड़ लीटर तक पहुंच जाएगी और आने वाले वर्षों में देश की दुग्ध मांग की पूर्ति के लिए डेयरी उद्योग को युवाओं के लिए वाणिज्यिक वहनीय बनाना होगा। सोढ़ी ने पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘2050 तक आधा भारत शहरी हो जाएगा, जिसका मतलब है कि हमारे पास उत्पादन के लिए हाथ कम होंगे और खाने के लिए मुंह अधिक होंगे। दूध की कमी की स्थिति में हम खाद्य तेलों और दलहनों के दूध पर निर्भर हो जाएंगे।’’ उन्होंने यहां एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, ‘आज जिस चीज की जरूरत है वह शहरों की ओर पलायन कर रहे युवाओं के लिए डेयरी उद्योग को तुलनात्मक आकर्षित और वाणिज्यिक रूप से व्यावहारिक बनाना है।’
सोढ़ी ने कहा, ‘‘हम हाथ से दूध दूहने के बजाय दूहने की मशीनों का इस्तेमाल कर डेयरी उद्योग को आधुनिक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। हम वृहद दुग्ध कूलरों, आधुनिक गौशालाओं आदि का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। वाणिज्यिक डेयरी फार्म के प्रचार के पीछे आज के युवाओं को आकर्षित करना उद्देश्य है।’’ उन्होंने आगे कहा कि अमूल भारत में ‘काउ टू कंज्युमर’ के जरिये डेयरी उद्योग में सबसे बड़ा नवाचार ला रही है। इसके तहत कंपनी किसानों का डिजिटल खाता खोलती है। जब कोई किसान संग्रह केंद्रों पर दूध जमा करने जाता है तो उसके दूध की मात्रा एवं गुणवत्ता का आकलन कर उसे खाते से जुड़े कार्ड पर दर्ज कर दिया जाता है। गुणवत्ता और मात्रा के आधार पर ही राशि किसानों के कार्ड में डाल दी जाती है जिसे मोबाइल एप के जरिये तत्काल किसानों के खाते में हस्तांतरित किया जा सकता है।’’ सोढ़ी ने कहा, ‘‘हमने पिछले कुछ महीनों में किसानों के ऐसे 26 लाख खाते खोले हैं। इस योजना के तहत 40-45 प्रतिशत किसानों को कवर किया जा चुका है।’’ इसके अलावा युवाओं को आकर्षित करने का एक अन्य कार्यक्रम उद्यमिता पर आधारित है। इसके तहत कोई युवा 20-30 गायों या भैंसों का फार्म शुरू कर सकता है जिसके लिए बैंकों से आसानी से पैसा उपलब्ध है। अमूल इसका विपणन कर रही है। उन्होंने कहा, ‘‘वाणिज्यिक डेरी फार्मिंग के जरिये कोई भी प्रति माह 40 हजार रुपये कमा सकता हैं। यह कई मामलों में उस राशि से अधिक है जो आप शहरों में कमा पाते हैं।’’ सोढ़ी ने भारत को छोटी जोत वाले किसानों का देश बताते हुए कहा, ‘देश के युवाओं को यह महसूस करने की जरूरत है कि ऐसे समय में जब जोतें छोटी हो रही हैं और आबादी बढ़ रही है, पशुपालन काफी आकर्षक कारोबार है।’