जयपुर। गैंगस्टर आनन्दपाल सिंह के एनकाउंटर के बीसवें दिन आज गुरुवार शाम को नागौर के सांवराद में उसका अंतिम संस्कार हो गया। कल बुधवार को उसे श्रद्जांजलि देने के लिए पूरे राजस्थान से दो लाख से अधिक राजपूत व दूसरे समाज के लोग जुटे, लेकिन लोगों के हिंसा पर उतारु होने पर सरकार और पुलिस प्रशासन ने सख्ती दिखाते हुए पहले तो उपद्रवियों को वहां से खदेडा। फिर हिंसा, पुलिसकर्मियों पर हमले, फायरिंग, रेलवे ट्रेक को नुकसान आदि मामलों में आंदोलन के अगुवा नेताओं को हिरासत में लेे लिया है। सांवराद में कफ्र्यू लगा दिया। राजस्थान मानवाधिकार आयोग ने अहम फैसले में 19 दिन से रखी आनन्दपाल की लाश का चौबीस घंटे में दाह संस्कार करने के निर्देश राज्य सरकार को दिए, जिसके चलते सरकार व पुलिस प्रशासन को बल मिला।
इस आदेश की प्रतियां दिखाकर आनन्दपाल के परिजनों मां, पत्नी, बेटी और मामाओं के साथ समझाइश की, लेकिन वे शुरुआत में तो सीबीआई जांच व दूसरी मांगों पर अड़े रहे। बाद में पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए चेताया कि आयोग के निर्देशों की पालना के लिए वह भी अंतिम संस्कार कर सकती है। बताया जाता है कि पुलिस ने घर के आंगन में फ्रिज से लाश निकालकर उसे अर्थी पर लेटा दिया था और उसे दाह संस्कार के लिए ले जाने लगे तो परिजन भी राजी हो गए। हिरासत में होने और सांवराद में कफ्र्यू के चलते आंदोलनकारी राजपूत नेता भी वहां नहीं आ सके। जो काम 19 दिन से नहीं हो पा रहा था, वो हिंसा के बाद बिगड़े हालात, मानवाधिकार आयोग के आदेश, पुलिस-प्रशासन की सख्ती के चलते बीसवें दिन हो गया। सरकार को आनन्दपाल के परिजनों की मांगों पर सहमति भी देनी नहीं पड़ी, हालांकि बुधवार को सभा में उमड़े राजपूत समाज के लोगों की मौजूदगी देखकर सरकार और राजपूत नेताओं के बीच आनन्दपाल के परिजनों के बीच सहमति बन गई थी,
लेकिन इसी बीच हिंसा और उपद्रव के चलते पूरा माहौल बदल गया। सरकार-पुलिस का पूरा ध्यान उपद्रव व हिंसा को रोकने में लग गया। हालांकि बुधवार की रैली से सरकार को संदेश है कि राजपूत समाज में आनन्दपाल एनकाउंटर को लेकर गुस्सा है और वे आनन्दपाल के परिजनों के साथ खड़ा है। संभावना है कि सरकार इस मामले की एसआईटी से जांच करवाने की घोषणा कर सकती है व दूसरी मांगों पर सहमत हो सकती है।