जयपुर। पिछले एक माह से भी अधिक समय से राजस्थान में राजपूत समाज और सरकार के बीच आनंदपाल एनकाउंटर को लेकर जो खींचतान चल रही है वह पिछले महीने आनंदपाल के अंतिम संस्कार का बाद राजपूत समाज के नेताओं और सरकार के बीच हुई वार्ता के बाद थोड़ा कम जरुर हो गया है। मगर सरकार के प्रति राजपूत समाज की नाराजगी अब भी कायम है। और सरकार भी यह समझती है क्योंकि राज्य के आगामी विधानसभा चुनाव ज्यादा दूर नहीं है। इसीलिए सरकार ने राजपूत समाज के वोट बैंक को साधने के लिए एक तीर से दो निशाने लगाने का प्रयास किया है। उन्होंने अजित सिंह को डीजीपी बनाया है। और अजित सिंह ने डीजीपी बनने के दूसरे दिन ही कहा की आनंदपाल एनकाउंटर की सीबीआई जांच होनी चाहिए।
हालांकि उनके बयान के क्या मायने हैं यह तो वे ही जाने। मगर राजपूत समाज के लोग और नेता यह कह रहे हैं कि जब हम आनंदपाल एनकाउंटर की सीबीआई जांच की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे तब अजित सिंह ने क्यों नहीं कहा कि सीबीआई जांच होनी चाहिए। अब वे डीजीपी बनने के बाद ऐसा कहेंगे तो समाज में क्या संदेश जाएगा। समाज का कहना हैै कि डीजीपी भी राजपूत समाज से ही हैं और उनके लिए हमारे मन में काफी आदर है मगर समाज को जरुरत के वक्त साथ खड़ा होना भी जरूरी है। आज अगर वे कह रहे हैं कि आनंदपाल एनकाउंटर की जांच होनी चाहिए तो इसका क्या मतलब निकाला जाए क्योंकि सरकार ने हमारे नेताओं के साथ वार्ता कर सीबीआई जांच की घोषणा तो पहले ही कर दी है। हां लेकिन एक बात है कि सरकार ने केंद्र को जो सीबीआई जांच भेजी है क्या उसमें अजित सिंह मुख्य भूमिका निभाएगें।