– सोशल मीडिया पर राजपूत समाज के लोगों का दिखा आक्रोश, मंत्रियों और विधायकों को सुना रहे खोरी-खोटी
जयपुर। गैंगस्टर आनन्दपाल एनकाउंटर मामले में सीबीआई जांच समेत अन्य मांगों पर राजस्थान सरकार की सहमति आदेश के बाद सरकार के राजपूत समाज के मंत्रियों और विधायकों के आनन्दपाल आंदोलन और आंदोलन के नेताओं के संबंध में हुई वार्तालाप के वीडियो के वायरल होते ही सरकार और मंत्रियों-विधायकों को सकते में डाल दिया है। साथ ही वीडियो में शामिल सभी नेता-मंत्री सीधे तौर पर समाज के निशाने पर आ गए हैं। इस वीडियो के सामने आते ही राजपूत समाज के लोगों ने सोशल मीडिया में तीखी प्रतिक्रिया जाहिर करने लगे हैं। खासकर उन मंत्री व विधायकों के खिलाफ जो आनन्दपाल एनकाउंटर और इस आंदोलन के नेताओं पर छींटाकशी कर रहे थे। खासकर राव राजेन्द्र सिंह के पैंडोरा बॉक्स डायलॉग से खासे खिन्न दिख रहे हैं।
इनके बयानों को लेकर सोशल मीडिया पर समाज के लोगों में ना केवल बहस हो रही है, बल्कि इस वीडियो में दिखाए जा रहे नेताओं को लेकर तीखी प्रतिक्रिया भी देखी गई है। फेसबुक, वाट्सअप, टिवट्र आदि सोशल मीडिया साइटों पर पर समाज के लोग कह रहे हैं कि आनन्दपाल आंदोलन ने राजपूत समाज को एकजुट किया, लेकिन समाज के नेताओं ने धोखा दिया। कुछ कह रहे हैं कि चुनाव आने दो, इन्हें देख लेंगे। इनकी जमानतें जब्त होनी चाहिए, आने दो समाज की जाजम पर, देख लेंगे इन्हें भी। बहुतों ने कहा, इस बार इनकी दाल गली नहीं, इसलिए फडफ़ड़ा रहे हैं। यह तो सरकार ने सहमति दे दी, 22 जुलाई को पूरा राजस्थान देखता राजपूत समाज की ताकत जैसे डॉयलॉग सोशल मीडिया में देख जा रहे हैं। हालांकि बहुत से ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने समाज के मंत्री-विधायक होने के नाते बख्श देने की सलाह दी। ऐसे लोगों को काफी भला-बुरा भी सुनना पड़ा। पैंडोरा बॉक्स के बारे में भी समाज के लोगों ने खूब प्रतिक्रिया दी।
आंदोलन, नेताओं व समाज को आफत बता रहे हैं, इन्हें चुनाव में दिखाना है पैंडोरा बॉक्स क्या होता है। कुछ कह रहे हैं कि ये तय करेंगे समाज का क्या करेगा और क्या नहीं। अब जो भी करेगा, समाज तय करेगा। कुछ इस तरह के डायलॉग देख जा रहे है सोशल मीडिया पर। समाज की तीखी प्रतिक्रिया और बहस के बीच कोई मंत्री,विधायकों का समर्थक बोल भी नहीं रहा है। कुल मिलाकर इस वीडियो ने सरकार के मंत्रियों और विधायकों की पोल समाज के सामने रख दी है कि वे आनन्दपाल एनकाउंटर मामले, मामले के नेताओं के बारे में क्या सोच रखते हैं और इस पूरे मामले में सरकार की मंशा भी क्या थी।