द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसीन में गुरूवार को प्रकाशित डॉक्टरों के बयान के अनुसार, 70 वर्षीय व्यक्ति को श्वसन संबंधी और अन्य दिक्कतों के चलते जैक्सन मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि मरीज के शरीर पर गुदे टैटू से दुविधा पैदा हो गई। शुरुआत में मरीज का इलाज करने का फैसला किया गया लेकिन जब इस पर विचार किया गया कि अपनी इच्छा पूरी करने के लिए मरीज ने यह चरम कदम उठाया होगा। उसकी छाती पर ‘‘ना’’ शब्द रेखांकित हुआ था और उसके टैटू में उसके हस्ताक्षर भी थे जिससे डॉक्टरों ने सलाह मश्विरा किया।
डॉक्टरों को सलाह दी गई कि मरीज के टैटू में व्यक्त की गयी इच्छा का सम्मान किया जाए। डॉक्टरों ने यह सलाह मानी और व्यक्ति की रात में मौत हो गई। मियामी के एक अस्पताल में भी 2012 में ऐसा ही मामला सामने आया था जिसमें 59 वर्षीय मरीज ने बाद में पुष्टि की थी कि टैटू पर लिखा संदेश उसकी इच्छा नहीं दर्शाता और उसने युवा दिनों में नशे में चूर होकर शर्त लगाने के कारण यह टैटू बनवाया था।
वाशिंगटन : क्या आपने कभी सुना है कि अस्पताल में डॉक्टर के पास कोई मरीज आए और डॉक्टर इस बात को लेकर असमंजस में हों कि उसे बचाया जाये या मरने के लिये छोड़ दिया जाये। सुनने में यह अजीब लग सकता है कि लेकिन अमेरिका के फ्लोरिडा राज्य में ऐसा ही मामला सामने आया है। फ्लोरिडा के एक अस्पताल में डॉक्टर उस समय दुविधा में पड़ गए जब उनके पास बेहोशी की हालत में एक मरीज आया जिसने अपनी छाती पर ‘‘फिर से जिंदा मत होने देना’’ (डू नॉट रिससिटेट) का टैटू गुदवा रखा था जिससे डॉक्टरों में यह उलझन पैदा हो गई क्या यह संदेश जीवनलीला समाप्त करने की उसकी इच्छा से सही तरीके से अवगत कराता है।