-दिनेश चंद्र शर्मा
जयपुर। दांतों की सही तरीके से अगर देखभाल न की जाए तो पायरिया हो सकता है। दांतों को सेहत और सुंदरता का आईना माना जाता है। लेकिन, खाने के बाद मुंह की साफ-सफाई न करने से दांतों में कई प्रकार की बीमारियां शुरू हो जाती हैं। दांतों की साफ-सफाई में कमी के कारण जो बीमारी सबसे जल्दी होती है वो है पायरिया। सांसों की बदबू, मसूड़ों में खून और दूसरी तरह की कई परेशानियां पायरिया के लक्षण हैं। दांतों की साफ-सफाई न करने के कारण पायरिया एक सामान्य बीमारी बन गई है। पायरिया के कारण असमय दांत गिर सकते हैं।
पायरिया क्यों होता है
दरअसल मुंह में लगभग 700 किस्म के बैक्टीरिया होते हैं, जिनकी संख्या करोडों में होती है। यही बैक्टीरिया दांतों और मुंह को बीमारियों से बचाते हैं। अगर मुंह, दांत और जीभ की सफाई ठीक से न की जाए तो ये बैक्टीरिया दांतो और मसूडों को नुकसान पहुंचाते हैं। पायरिया होने पर दांतों को सपोर्ट करने वाली जबडे की हड्डियों को नुकसान होता है। पायरिया शरीर में कैल्शियम की कमी होने से मसूड़ों की खराबी और दांत-मुंह की साफ-सफाई में कोताही बरतने से होता है। इस रोग में मसूड़े पिलपिले और खराब हो जाते हैं और उनसे खून आता है। सांसों की बदबू की वजह भी पायरिया को ही माना जाता है।
पायरिया के लक्षण
पायरिया होने पर सांसो में तेज दुर्गन्ध शुरू हो जाती है। मसूडों में सूजन होने लगती है। दांत कमजोर होकर हिलने लगते हैं। गर्म और ज्यादा ठंडा पानी पीने पर दांत संवेदनशील हो जाते हैं और लोग उसे बर्दाश्त नही कर पाते हैं। पायरिया होने पर मसूडों से मवाद आना शुरू हो जाता है। मसूडों को दबाने में और छूने पर दर्द होता है। पायरिया की शिकायत होने पर मसूडों से खून निकलने लगता है। दो दांतों के बीच की जगह बढ जाती है, दांतों में गैप होने लगता है।
पायरिया से बचने के लिए सावधानी
खाने के बाद मुंह की अंदरुनी साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। ब्रश करते समय दांतों को अच्छी तरह से और आराम से साफ करें। टंग क्लीनर से जीभ को अच्छी तरह साफ करें। दांतों की सफाई के लिए कठोर ब्रश की बजाय कोमल ब्रश का इस्तेमाल करें। रात में डिनर करने के बाद सोने से पहले भी ब्रश करें। ब्रश करते समय ध्यान रखिए कि खाने का कोई टुकडा दांतों के बीच फंसा तो नही है। कुछ भी खाने के बाद अगर ब्रश नहीं कर सकते हैं तो पानी से दांतों की सफाई कर लेनी चाहिए। अच्छे दांत सेहत और सुंदरता की निशानी होती है। इसलिए अपने दांतों का ख्याल जरूर रखें। पायरिया का अगर समय पर इलाज न कराया जाए तो दांत ढीले होकर गिर जाते हैं। पायरिया का इलाज बडी आसानी से हो सकता है। पायरिया की समस्या होने पर जल्द से जल्द चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए।
आपके दातों को प्रभावित कर सकता है तनाव
आप तनाव के खतरनाक और जानलेवा दुष्प्रभावों से तो वाकिफ होंगे ही, लेकिन आपको यह भी मालूम होना चाहिए कि तनाव से दांत किटकिटाने या दांत चबाने की आदत भी पड़ जाती है, जिसके बारे में अधिकतर लोगों को पता ही नहीं होता। आपको मालूम होना चाहिए कि इस अनजान आदत का खामियाजा आपके दांतों को भुगतना पड़ सकता है। दांत किटकिटाने की आदत अधिकतर तनाव के चलते होती है। यह आदत भले ही जानलेवा न हो, लेकिन इससे कई तरह की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं जैसे दांतों, सिर और चेहरे संबंधित ढांचे का प्रभावति होना, दांतों का टूटना आदि। इससे पहले कि बहुत देर हो जाए और आपको इलाज की जरूरत पड़ जाए बेहतर होगा कि आप अपनी तनाव लेने की आदत का इलाज कर लें।
ब्रूक्सिस्म का शिकार
क्या किसी ने आपको कहा है कि आप नींद में दांत किटकिटाते हैं। क्या आप जबड़ों के दर्द, सरदर्द कंधे या गर्दन दर्द के कारण से जाग जाते हैं। क्या सुबह उठने पर आपके जबड़ों में दर्द होता है। क्या? आपको चेहरे के दूसरे तरफ दर्द होता है। क्या आपके दांत संवेदनशील हैं। अगर आपको इनमें से कोई भी समस्या है तो आप डेंटिस्ट से ज़रूर सम्पर्क करें । बहुत से विशेषज्ञों का ऐसा भी मानना है कि ब्रूक्सिस्म (दांत किटकिटाना) एक अनुवांशिक बीमारी है और बहुत से मरीज़ों को इस बीमारी का पता भी नहीं चल पाता । लेकिन तनाव को इस बीमारी का एक मुख्य कारक माना गया है ।
ब्रूक्सिस्म से नुकसान
दांत किटकिटाना सुनने वाले के लिए चिडचिड़ाहट पैदा करने वाला विषय हो सकता है और मरीज़ के लिए शर्मिन्दगी का विषय हो सकता है । लेकिन इससे होने वाली समस्याएं बड़ी भी हो सकती हैं और ऐसा भी ज़रूरी नहीं कि सभी समस्याएं दांतों से सम्बंन्धी ही हों । यह समस्या एंक्रेनियोफेशियल नर्व को भी प्रभावित कर सकती हैं । यह एक ऐसी गतिविधि होती है जो कि हमारी अवचेतन अवस्था में होती है इसलिए हमें इसका पता भी नहीं चल पाता और अधिकतर स्थितियों में यह सोते समय होता है इसलिए इसपर हमारा बस भी नहीं होता स्थितियों का पता तब लगता है जब कि इसी प्रकार दांत किटकिटाने पर एक दिन दांत टूट जाते हैं या फिर चेहरे पर सूजन आ जाती है । कुछ रात्रि में जागने वाले नींद के एक घण्टे में 40 मिनट तक दांत किटकिटाते हैं । ऐसा करने से दांतों की बाहरी सतह इनेमल के निकलने का खतरा रहता है और दांत टूट भी सकते हैं। इनेमल दांतों की सबसे बाहरी परत है, यह बहुत कठोर होती है और इसलिए यह दांतों को किसी भी प्रकार की क्षति से भी बचाता है। ऐसे में दांत, जबड़े, कानों में दर्द हो सकता है और यहां तक कि सरदर्द भी हो सकता है । मांस पेशियों पर लगातार दबाव पडऩे के कारण चेहरा चौकोर सा दिखने लगता है । वो लोग जो कि माइल्ड ब्रक्सिरज़म से प्रभावित होते हैं वो शारीरिक और मानसिक तनाव के लक्षण भी दर्शाते हैं । यह समस्या कम उम्र के बच्चों में भी हो सकती है ।
बचाव के तरीके
सोने से पहले तनाव से मुक्त होने का प्रयास करें । आप तनाव कम करने के लिए कम आवाज़ में गाने सुन सकते हैं । नाइट गार्ड आक्लूमज़ल स्पलिन्ट का प्रयोग करना । कुछ लोगों में इसके प्रभाव से दांतों का किटकिटाना बढ़ जाता है और कुछ में बिलकुल ही ठीक हो जाता है । इसे फिट करने के लिए दंत चिकित्सक के अस्पताल में जाना पड़ता है । यह प्लास्टिक का यंत्र होता है और यह दांतों में आगे से पीछे की ओर लगा होता है । कुछ लोगों में दांतों पर दबाव पडऩे के कारण स्लिनेकन्ट टेढ़े हो जाते हैं । ऐसी स्थितियों में स्लिनेकन्ट या गार्ड बदलने पड़ते हैं । दांतों के लिए एक्यूपंचर, मसाज, रिलैक्सेशन थेरेपी और मेडिटेशन की भी सलाह दी जाती है । प्रभावित मांस पेशियों में बटक्सि का इन्जेक्शन भी लगाया जा सकता है । जिससे कि मांस पेशियों में थकान नहीं होता । गुस्सा ,निराशा और आक्रामकता ऐसे कारण हैं जिनसे ब्रक्सिपज़म समस्या होती है ।आराम से और अच्छी नींद लेना दांत किटकिटाने जैसी समस्या का समाधान हो सकता है ।