नई दिल्ली। 1993 के मुंबई ब्लास्ट की टीस आज भी देश के लोगों में है किस तरह से देश को हिलाकर रख दिया था। मगर आज हालात सामान्य है और मुंबई लगभग 24 साल बाद उस घटना को भुलाकर फिर अपनी रफ्तार से दौड़ रही है। आखिर क्यों मुंबई के डॉन नाम से मशहूर दाऊद ने मुंबई पर यह कहर बरपाया था। हालांकि इस बाम ब्लास्ट को लेकर एक फिल्म भी बन चुकी है जिसका नाम ब्लैक फ्राईडे रखा गया था। उसमें खुलासा किया गया है कि दाऊद मुंबई को बहुत प्यार करता था। और वह ऐसा करना नहीं चाहता था मगर उसके समाज के लोगों का उस पर दबाव पड़ रहा था कि वो बाबरी मस्जिद ढ़हाए जाने का बदला ले। लेकिन फिर भी वह उनकी बातें अनसूनी करता रहता था । मगर जब कुछ महिलाओं ने उसे चुड़ियां भेजी और कहा बदला नहीं ले सकते तो यह चुड़ियां पहन लो। बस यहीं से मुंबई की इस दर्दनाक घटना की शुरुआत हुई। और ऐसा दर्द दे गई जो आज भी रह-रह कर उठता है।
चुड़ियां भेजे जाने से दाऊद का गुस्सा भड़क गया और फिर उसने गैंग को मुंबई की बबार्दी का आदेश दिया। दाऊद का ईशारा मिलने के बाद मुंबई में धमाकों के लिए लोगों को चुना गया। उन्हें दुबई के रास्ते पाकिस्तान भेजकर ट्रेनिंग दी गई। स्मगलिंग के अपने नेक्सस का इस्तेमाल कर दाऊद ने अरब सागर के रास्ते विस्फोटक मुंबई पहुंचाए। उन जगहों की पहचान और समय तय किए गए जहां धमाका किया जाना था। सबसे पहला धमाका 1.30 बजे बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज और अंतिम 3.40 बजे हुआ था। धमाकों में 257 लोगों की मौत हुई और करीब 1400 लोग जख्मी हुए थे। इन दो घंटों ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया।
ब्लैक फ्राईडे का विरोध भी हुआ
एस हुसैन जैदी की किताब ‘ब्लैक फ्राइडे’ पर बनी फिल्म का शिवसेना ने कड़ा विरोध किया था। सेंसर ने भी फिल्म के कंटेट को लेकर इसे शुरूआती दो साल तक रिलीज नहीं होने दिया था। इसे बाद में रिलीज किया गया था। फिल्म में बाबरी के बाद का माहौल दिखाया गया था। इसके निमार्ता अरिंदम मिश्रा थे। फिल्म को महज 70 दिनों में बनाया गया था। मुंबई और दुबई में शूटिंग हुई थी. हालांकि बाद में बाल ठाकरे ने भी फिल्म को क्लीन चिट दे दी थी।