बीकानेर. राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू सोमवार को बीकानेर के राष्ट्रीय सांस्कृति महोत्सव का उद्घाटन करने डॉ करनी सिंह स्टेडियम पहुंची। उन्होंने यहां देश के 7 सांस्कृतिक जोन के डोम में निरीक्षण किया। इसके बाद राष्ट्रपति ने दीप प्रज्वलित कर आयोजन की शुरुआत की। राष्ट्रपति ने राम राम सा कहते हुए संबोधन की शुरुआत की। उन्होंने कहा देश की कला व संस्कृति का प्रचार नई तकनीक से करना चाहिए। उन्होंने नई पीढ़ी को हमारी संस्कृति से जोड़ने की अपील की। इस दौरान नाल से बीकानेर के बीच रास्ता बंद है। 1200 पुलिसकर्मी इस मार्ग और डॉ. करणी सिंह स्टेडियम में तैनात रहे। बीकानेर पहुंचने पर राज्यपाल कलराज मिश्र, केंद्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल और राजस्थान के शिक्षा मंत्री डॉ बी डी कल्ला ने राष्ट्रपति का स्टेशन पर स्वागत किया। इससे पहले डॉ करनी सिंह स्टेडियम में राष्ट्रपति का ढोल और नगाड़ों के साथ स्टेडियम में स्वागत किया गया। राज्यपाल कलराज मिश्र ने राष्ट्रपति की अगवानी की। इस मौके पर उन्होंने क्राफ्ट आंगन एवं कुजिन एरिया का दौरा भी किया। उनका देशनोक जाने का कार्यक्रम रद्द कर दिया गया है। द्रोपदी मुर्मू आम हवाई अड्डे से नहीं बल्कि एयरफोर्स की विशेष हवाई पट्टी पर पहुंची। नाल से सड़क मार्ग से होते हुए नेशनल हाइवे से शहर में प्रवेश किया। महाराजा गंगा सिंह युनिवर्सिटी के आगे से होते हुए श्रीगंगानगर चौराहे से डॉ. करणी सिंह स्टेडियम पहुंचीं। इस दौरान नाल से डॉ. करणी सिंह स्टेडियम तक रास्ता बंद रहा।
-युवा पीढ़ी को कलाकारों से बहुत कुछ सीखना चाहिए
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने इस अवसर पर कहा कि यहां आकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रहीं है। पहली बार इसका आयोजन बीकानेर में हो रहा है। लोग बीकानेर को मिठाईयों की वजह से जानते होंगे। लेकिन इतिहास में बीकानेर के किले महत्वपूर्ण स्थान रखते है। यहां एक हजार से ज्यादा कलाकार 9 दिन में अपनी कलाओं का प्रदर्शन करेंगे। इससे हमने देश की विभिन्नताओं व एकता को जानने का अवसर भी मिलता है। भारत की संस्कृति में अध्यात्म की महत्वपूर्ण रचना है। हम सबको भारत की संस्कृति और कलाओं पर गर्व होना चाहिए। सच्चे कलाकारों का जीवन तपस्या का उदाहरण होना चाहिए। हमारी युवा पीढ़ी को कलाकारों से बहुत कुछ सीखना चाहिए। आज के डिजिटल युग में हमें देखना होगा कि हम किस तरह युवा पीढ़ी को प्रेरणा दे सके। आज हम 21 वीं सदी में जी रहें है। आज लोगों का जीवन और समय तेजी से भाग रहा है। ऐसे में कला को लोगों तक पहुंचाना आसान नहीं है। मैं कलाकारों को जिम्मेदारी सौंपना चाहती हूं कि गांवों में जाकर कला को ढूंढकर लाना चाहिए और उन्हें संवारना भी चाहिए।
– परिवर्तन जीवन का नियम
राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने कहा कि हम जानते है कि परिवर्तन जीवन का नियम है। कला और संस्कृति में भी समय के साथ परिवर्तन आता है। वेशभूषा, खान पान सब में बदलाव आता है। लेकिन कुछ बुनियादी सिद्धांत पीढ़ी दर पीढ़ी चलना चाहिए। इससे पहले केंद्रीय मंत्री अर्जुन मेघवाल ने कहा कि बीकानेर को छोटी काशी कहा जाता है। यहां करणी माता, रामदेव जी, वीर तेजाजी व अन्य कई देवताओं का यहां प्रभाव रहा है। मेघवाल ने कहा कि आप होली के मौके पर बीकानेर आए। यह बीकानेर और प्रदेशवासियों के लिए शुभागमन है। मेघवाल ने राष्ट्रपति को शॉल, श्रीनाथ जी की प्रतिमा और स्मृति चिन्ह भेंट किया। इस अवसर पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने कहा कि बीकानेर सांस्कृतिक शहर है। इस आयोजन के लिए सभी को बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं। भाषा, दर्शन, खान पान आदि की विभिन्नताओं के बावजूद हम एक है। मुझे लग रहा है कि सांस्कृतिक महोत्सव के भारत आज यहां लघु भारत एकत्रित हो गया है। राजस्थान महाराणा प्रताप और पृथ्वीराज चौहान जैसे शूरवीरों की धरती है। यह धरा मीरा बाई जैसों की भूमि है। यह धरती पधारो म्हारे देश का अपनत्व लिए हुए है।
बता दे कि बीकानेर में 25 फरवरी से राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव शुरू हुआ है। जो 5 मार्च तक चलेगा। केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय की ओर से बीकानेर में राष्ट्रीय संस्कृति महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस महोत्सव में देशभर के लोक कलाकार, शिल्पी और चित्रकार भाग ले रहें है। बीकानेर स्थित नोखा, खाजूवाला, कोलायत व अन्य स्थानों पर संस्कृति महोत्सव मनाया जा रहा है।
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