दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा अधिकारियों को आज व्यवस्था परिवर्तन में बाधक मानसिकता से उबरने की सलाह दी और कहा कि भारत की प्रशासनिक व्यवस्था को ‘नये भारत’ की ऊर्जा से भर दें।
सहायक सचिवों के उद्धाटन सत्र में 2015 बैच के आईएएस अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अब तक उतना विकास नहीं कर सका है जितना होना चाहिए था।
सहायक सचिवों के उद्धाटन सत्र में 2015 बैच के आईएएस अधिकारियों को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अब तक उतना विकास नहीं कर सका है जितना होना चाहिए था।
उन्होंने कहा कि जो देश भारत के बाद आजाद हुए और भारत की तुलना में संसाधनों की अधिक कमी से जूझते रहे, वे आज विकास की नई ऊंचाइयों को छू चुके हैं। उन्होंने कहा कि बदलाव लाने के लिए साहस की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि खंडित प्रशासनिक व्यवस्था के रहते अधिकारियों की सामूहिक क्षमता का इस्तेमाल बेहतर प्रदर्शन के लिए नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था में बदलाव लाने के लिए गतिशील परिवर्तन की जरूरत है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सहायक सचिवों के तीन महीने के इस कार्यक्रम का यह तीसरा साल है और इसका काफी अच्छा असर दिखेगा। उन्होंने युवा अधिकारियों से कहा कि अगले तीन महीने के दौरान केन्द्र सरकार के वरिष्ठतम अधिकारियों से बिना संकोच के मिलते-जुलते रहें ताकि उनकी ऊर्जा तथा नवीन विचारों और सचिव स्तर के अधिकारियों के प्रशासनिक अनुभव के संयोजन का लाभ व्यवस्था को मिल सके।
प्रधानमंत्री ने युवा अधिकारियों को यूपीएससी के नतीजे आने तक के अपने जीवन और इस दौरान सामना की गई चुनौतियों को याद कराया और कहा कि अब मिलने वाले नए अवसर का इस्तेमाल व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव और आम लोगों के जीवन में सुधार लाने में करें। अपने संबोधन में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, जन शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार कामकाज के अनुकूल माहौल बनाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान सुशासन का पैमाना बढ़ गया है और अब जवाबदेही, पारदर्शिता, जन आकांक्षाएं और मीडिया की जांच परख का भी स्तर काफी ऊंचा हो गया है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के रूझान का विश्लेषण करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इसमें जम्मू कश्मीर, पंजाब और हरियाणा जैसे अब तक कम प्रतिनिधित्व वाले राज्यों से भी प्रतिभाएं आ रही हैं। उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों से महिलांए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में टॉप कर रही हैं और नवोदय एवं केन्द्रीय विद्यालयों जैसे सरकारी स्कूलों से शिक्षा हासिल कर ग्रामीण, अर्द्ध शहरी और मध्यम वर्ग के युवा भी इसमें सफल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे युवा आईएएस अधिकारियों को 40 साल से कम आयु वर्ग की दो-तिहाई जनसंख्या की जरूरतों का पता लगाने और मौजूदा सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को लागू करने में मदद मिलेगी।
इससे पहले, कैबिनेट सचिव श्री प्रदीप कुमार सिन्हा ने कहा कि तीन साल पहले अपनी शुरुआत से ही केन्द्र सरकार में युवा आईएएस अधिकारियों को सहायक सचिव के पद पर तीन महीने काम कराने का प्रयोग काफी फायदेमंद रहा। श्री सिन्हा ने कहा कि पिछड़े राज्यों और जिलों में सरकार की अहम योजनाओं और अन्य प्राथमिकता वाली योजनाओं को लागू करने पर सरकार का विशेष जोर रहेगा।
सचिव (कार्मिक) श्री अजय मित्तल ने कहा कि अगले तीन महीने के दौरान युवा अधिकारी जीएसटी और कैशलेस अर्थव्यवस्था जैसे सरकार के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
इस अवसर पर परिवर्तन- नये भारत की नींव और सतत एचआर पहल के तीन साल पर दो लघु फिल्में और 2013 एवं 2014 बैच के सहायक सचिवों पर श्रव्य-दृश्य प्रस्तुति दिखाई गई। इस मौके पर प्रधानमंत्री के अपर प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग सहित विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सहायक सचिवों के तीन महीने के इस कार्यक्रम का यह तीसरा साल है और इसका काफी अच्छा असर दिखेगा। उन्होंने युवा अधिकारियों से कहा कि अगले तीन महीने के दौरान केन्द्र सरकार के वरिष्ठतम अधिकारियों से बिना संकोच के मिलते-जुलते रहें ताकि उनकी ऊर्जा तथा नवीन विचारों और सचिव स्तर के अधिकारियों के प्रशासनिक अनुभव के संयोजन का लाभ व्यवस्था को मिल सके।
प्रधानमंत्री ने युवा अधिकारियों को यूपीएससी के नतीजे आने तक के अपने जीवन और इस दौरान सामना की गई चुनौतियों को याद कराया और कहा कि अब मिलने वाले नए अवसर का इस्तेमाल व्यवस्था में सकारात्मक बदलाव और आम लोगों के जीवन में सुधार लाने में करें। अपने संबोधन में पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, जन शिकायत एवं पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि सरकार कामकाज के अनुकूल माहौल बनाने के लिए प्रयासरत है। उन्होंने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान सुशासन का पैमाना बढ़ गया है और अब जवाबदेही, पारदर्शिता, जन आकांक्षाएं और मीडिया की जांच परख का भी स्तर काफी ऊंचा हो गया है।
भारतीय प्रशासनिक सेवा के रूझान का विश्लेषण करते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इसमें जम्मू कश्मीर, पंजाब और हरियाणा जैसे अब तक कम प्रतिनिधित्व वाले राज्यों से भी प्रतिभाएं आ रही हैं। उन्होंने बताया कि पिछले तीन वर्षों से महिलांए यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में टॉप कर रही हैं और नवोदय एवं केन्द्रीय विद्यालयों जैसे सरकारी स्कूलों से शिक्षा हासिल कर ग्रामीण, अर्द्ध शहरी और मध्यम वर्ग के युवा भी इसमें सफल हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे युवा आईएएस अधिकारियों को 40 साल से कम आयु वर्ग की दो-तिहाई जनसंख्या की जरूरतों का पता लगाने और मौजूदा सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं को लागू करने में मदद मिलेगी।
इससे पहले, कैबिनेट सचिव श्री प्रदीप कुमार सिन्हा ने कहा कि तीन साल पहले अपनी शुरुआत से ही केन्द्र सरकार में युवा आईएएस अधिकारियों को सहायक सचिव के पद पर तीन महीने काम कराने का प्रयोग काफी फायदेमंद रहा। श्री सिन्हा ने कहा कि पिछड़े राज्यों और जिलों में सरकार की अहम योजनाओं और अन्य प्राथमिकता वाली योजनाओं को लागू करने पर सरकार का विशेष जोर रहेगा।
सचिव (कार्मिक) श्री अजय मित्तल ने कहा कि अगले तीन महीने के दौरान युवा अधिकारी जीएसटी और कैशलेस अर्थव्यवस्था जैसे सरकार के प्राथमिकता वाले क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
इस अवसर पर परिवर्तन- नये भारत की नींव और सतत एचआर पहल के तीन साल पर दो लघु फिल्में और 2013 एवं 2014 बैच के सहायक सचिवों पर श्रव्य-दृश्य प्रस्तुति दिखाई गई। इस मौके पर प्रधानमंत्री के अपर प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग सहित विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।