जयपुर। उदयपुर संभाग का राजसमंद जिला, अधिकांष पहाड़ी क्षैत्र होने के कारण कृषि की दृष्टि से प्रदेश में पहचान बनाने के लिए लगातार संघर्षरत् है। उपर से अल्प एवं अनियमित मानसूनी वर्षा होने से कृषि रकबा प्रत्येक वर्ष अस्थिर बना रहता है। परंतु बावजूद उपरोक्त सीमाओं के यहां के मेहनतकष कृषक उन्नत कृषि तकनीकों को अपनाने में अग्रिणी हैं। ऐसी ही कहानी है तहसील राजसमंद में ग्राम पंचायत भाटोली के ग्राम फतहपुरा निवासी श्रीमति कमला कुंवर चैहान की। जिन्होनें कृषि विशेषज्ञों की राय को अपनाकर, अन्य कृषकों के लिऐ मिसाल कायम की है।
यूं तो प्रत्येक खरीफ मौसम दौरान श्रीमति कमला कुंवर द्वारा अपनी 25 एकड़ भूमि पर पति व पुत्र की सहायता से हमेषा ही मक्का की खेती की जाती रही है। किन्तु खरीफ-2016 दौरान राजस्थान स्टेट सीड्स काॅर्पोरेशन लिमिटेड, इकाई-उदयपुर के अधिकारीयों की समझाईश पर उन्होनें अपने खेतों में सोयाबीन को अपनाने की हामी तो भर ली परंतु चूंकि पूरे राजसमंद जिले में ही खरीफ दौरान सोयाबीन फसल का क्षैत्रफल बहुत ही न्यून होने से उनके मन में एक शंका सी बनी रही कि, नई फसल सोयाबीन पता नहीं सफल होगी या नहीं। परंतु बीज निगम के अधिकारीयांे की लगातार समझाईष उपरांत उन्होने संपूर्ण 25 एकड़ भूमि पर सोयाबीन किस्म आरकेएस-24 का बीज उत्पादन कार्यक्रम ले ही लिया।
क्षैत्र में नई फसल होने से खेत में सस्य क्रियाऐ अपनाने में कुछ समस्याऐं आई जरूर, परंतु कृषि विषेषज्ञों से रायषुमारी से उनका समाधान कर लिया। खेतों में अच्छा अंकुरण हुआ, फसल कमला कुंवर के खेतों में फलने फूलने लगी। फसल देखकर मन भी हर्षाने लगा। परंतु खुषी लंबे समय तक नहीं रह सकी। क्षैत्र में भारी मानसूनी वर्षा हुई, मानो बादल फटा हो। एक ही दिन में 14 इंच वर्षा। जिसके फलस्वरूप सब तरफ पानी ही पानी। समस्त खेतों में सभी फसलें जलमग्न हो गई। निराषा ने आ घेरा। वर्षा रूकी व धीरे-धीरे जल प्लावन स्थिती खत्म हुई। मौसम खुला, तो पाया कुछ ही दिवस में सभी ओर मक्का की फसल गल कर नष्ट हो चुकी थी। पशुओं के लिऐ चारा भी मिलना मुनासिब नहीं था।
परंतुु, कमला कुंवर अचंभित थी कि पानी में डूबी रही सोयाबीन फसल में पुनः फुटान व बढ़वार शुरू हुई, फूल आऐ व पौधे फलियों से लकदक हो गऐ। इससे एक बात स्पष्ट हुई कि सोयाबीन फसल अत्यधिक वर्षा व जलप्लावन के प्रति सहनषील है। गांव के कई अन्य कृषक भी इससे सहमत थे, और आगामी समय में सोयाबीन खेती का उन्होनें मानस बनाया।
संतोषप्रद उत्पादन हुआ
कमला कुंवर बताती हैं कि जहां एक तरफ अत्यधिक वर्षा से दूसरे कृषकों के खेतों पर मक्का का नही ंके बराबर उत्पादन रहा, वहीं उनकी 25 एकड़ भूमि से उन्हें 155 क्विंटल सोयाबीन की पैदावार प्राप्त हुई।
अच्छा शुद्ध मुनाफा मिला
कमला कुंवर ने 155 क्विंटल सोयाबीन पैदावार राजस्थान स्टेट सीड्स काॅर्पोरेषन लिमिटेड, इकाई-उदयपुर पर बीज तैयार करने हेतु जमा करवा दी। उन्हें उससे कुल 6 लाख 30 हजार 900 रूपऐ प्राप्त हुऐ। पूरा लेखा जोखा निकालने पर सामने आया की बीज, उर्वरक, श्रमिक, पौध संरक्षण आदि पर उनका करीब 2.00 लाख रूपया खर्च हुआ। इस प्रकार शुद्ध लाभ रहा 4 लाख 30 हजार।
सोच परिवर्तन हुई
खरीफ-2016 में उपरोक्त सोयाबीन बीज उत्पादन में सफलता से उत्साहित कमला कुंवर ने मानस बना लिया के भविष्य में भी वे केवल और केवल बीज की ही खेती करेंगी, न कि अनाज की। इसके चलते उन्होनें रबी 2016-17 दौरान राजस्थान स्टेट सीड्स काॅर्पोरेषन लिमिटेड, से ही पुनः चना किस्म जीएनजी-1581 का बीज उत्पादन कार्यक्रम 25 एकड़ भूमि पर लिया। बीज उत्पादन में कुषल हो चुकि कमला कुंवर ने अब प्राप्त किया 180 क्विंटल का चना उत्पादन। इससे मिले कुल 11 लाख 66 हजार रूपऐ। फसल पर खर्च हुआ करीब 2.75 लाख रूपऐ। यानि शुद्ध लाभ रहा करीब 8 लाख 91 हजार रूपऐ। इस प्रकार एक वर्ष में कुल 13.21 लाख रूपऐ का शुद्ध लाभ अर्जित किया।
कई अन्य कृषक जुड़े बीज उत्पादन से
कमला कुंवर ने खरीफ-2017 में वापस सोयाबीन किस्म आरकेएस-24 का बीज उत्पादन कार्यक्रम लिया है, जिससे करीब 175 क्विंटल पैदावार प्राप्त होने की संभावना है। अब क्षैत्र में बीज उत्पादन कार्यक्रम करीब 150 एकड़ से अधिक क्षैत्र में लिया जा रहा है। वर्तमान में रबी 2017-18 में भी कमला कुंवर द्वारा 25 एकड़ का चना बीज उत्पादन कार्यक्रम ले लिया गया है। उल्लेखनिय है कि उदयपुर में 7 से 9 नवम्बर को होने वाले 3 दिवसीय ‘ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट‘ में ‘बीज उत्पादन‘ की तकनीक और खेती के लिए उपलब्ध बीजों का भी प्रदर्शन किया जाएगा।