Vice President Naidu will visit Jaipur and Tonk in New Year

jaipur. कुंभ को दुनिया का सबसे बड़ा सांस्कृतिक कार्यक्रम बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह धर्मिक और आध्यात्मिक लोगों का सबसे बड़ा सम्मेलन है। उन्होंने कहा कि यह दुनिया के सबसे बड़े अजूबों में से एक है। उपराष्ट्रपति, एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि कुंभ ने भारत के शानदार “विनम्र शक्ति” को दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि यह कुंभ प्रयागराज और उसके आसपास के ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन स्थलों के रूप में विकसित करेगा। नायडू, प्रयागराज के एक दिवसीय दौरे पर गए थे, जहाँ पर उन्होंने युवा कुंभ सम्मेलन में स्वयंसेवकों का अभिनंदन किया। उन्होंने कीवा कुंभ मेले को भी संबोधित किया, जहां पर मेक्सिको, कोलंबिया, पराग्वे, चिली, पेरू, नीदरलैंड, ब्राजील आदि देशों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

युवा कुंभ सम्मेलन को संबोधित करते हुए, नायडू ने ऐसे आयोजनों के दौरान लोगों को स्वच्छता और साफ-सफाई के महत्व के बारे में शिक्षित करने और जानकारी प्रदान करने पर बल दिया, विशेष रूप से कुंभ जैसे आयोजन के दौरान जहां पर 19 करो़ड़ से ज्यादा लोगों ने गंगा नदी में पूजा किया। नमामि गंगे और स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रमों के उद्देश्यों की प्राप्त के लिए लोगों की भागीदारी को महत्वपूर्ण बताते हुए, उपराष्ट्रपति ने स्वयंसेवकों से आह्वान किया कि वे भक्तों को नदियों की स्वच्छता को बनाए रखने और प्लास्टिक के उपयोग से बचने के महत्व के संदर्भ में जागरूक करें। इसके लिए वह चाहते हैं कि स्वयंसेवक खुद को स्वच्छ्ता प्रहरी बनाएं।

बाद में, कीव कुंभ मेले में लोगों को संबोधित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने प्रकृति के अनुकूल एक सामाजिक व्यवहार को विकसित करने की आवश्यकता पर बल दिया। आगे उन्होंने कहा कि इस प्रकार का व्यवहार, अगर प्रकृति के अनुरूप है तो उसे, “संस्कारी” या उन्नत कहा जाएगा और अगर यह प्रकृति के कोमल संतुलन को नष्ट करने वाला है, तो इसे “विकृति” या विकार कहा जाएगा। नायडू ने कहा कि, पर्यावरण के परिणामों से बेखबर होकर मानव ने औद्योगिक विकास की निरंतरता बनाए रखने के प्रयास के लिए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ किया है। उन्होंने कहा कि विकास को टिकाऊ बनाने रखने के लिए, इसे प्रकृति के अनुकूल बनाना होगा।

उपराष्ट्रपति ने खेद व्यक्त किया कि वायु, जल और खाद्य संसाधनों का प्रदूषण और वन संसाधनों का दोहन ने ऐसी स्थिति उत्पन्न कर दी है कि जहां पर मानव और पशु का जीवन लगातार अस्थिरता का शिकार होता चला जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमारा भविष्य इस बात से जुड़ा हुआ है कि हम प्रकृति का सम्मान कैसे करते हैं और उसको सुरक्षित कैसे रखते हैं।” उन्होंने कहा कि यह एक सांस्कृतिक पैमाना भी है। उन्होंने कहा “मेरे विचार से, सांस्कृतिक लोकाचार, जो कि शांति, सौहार्द, सहिष्णुता और समावेशी विकास को बढ़ावा देते हैं वे चिरस्थायी भविष्य के लिए सर्वश्रेष्ठ आधार बन सकते हैं।” यह अवलोकन करते हुए कि प्रयाग की पवित्र भूमि हमारी परंपराओं में बहुत ही प्रासंगिकता रखती है, नायडू ने कहा कि यह शहर संस्कृति, ज्ञान और साहित्य का स्थल रहा है।

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