– कर्फ्यू में जंतर-मंतर खोल पर्यटकों, कर्मचारियों और गाइड़ों की जान खतरे में डाली, माणक चौक पुलिस ने बंद करवाया स्मारक
जयपुर। हिंसा और उपद्रव की आग में घिरे जयपुर में सरकारी विभाग और अफसर ही कानून की धज्जियां उड़ा रहे हैं, वो भी जयपुर पुलिस आयुक्त संजय अग्रवाल के कर्फ्यू आदेश की। संवेदनशील क्षेत्र में शामिल माणकचौक थानांतर्गत आने वाले जंतर-मंतर वेधशाला ने आज मंगलवार सुबह पुलिस आयुक्त के कर्फ्यू आदेश को धत्ता बताते हुए ना केवल कर्फ्यू में ही जंतर-मंतर वेधशाला को खोल दिया, बल्कि कर्मचारियों, सुरक्षा गार्डों और गाइड़ों को भी बुलाकर उनकी जान खतरे में डालने की कोशिश की। यहीं नहीं विश्व धरोहर सूची में शामिल जंतर-मंतर वेधशाला के अस्तित्व को खतरे में डालने का प्रयास किया। जंतर-मंतर वेधशाला गणगौरी बाजार जैसे अतिसंवेदनशील क्षेत्र में शुमार है। इसके बावजूद जंतर-मंतर वेधशाला की अधीक्षक शशिप्रभा ने कर्फ्यू अवधि के दौरान सुबह नौ बजे ही संरक्षित स्मारक जंतर-मंतर वेधशाला को सैलानियों को खोल दिया। यहीं नहीं जंतर-मंतर वेधशाला के कर्मचारियों और वहां तैनात सुरक्षा गार्डों को भी बुला लिया। कर्मचारियों और सुरक्षा गार्डों ने वहां के गाइड़ों को भी फोन करके बुला लिया।
कुछ कर्मचारियों, गाइड़ों और सुरक्षा गार्डों ने कर्फ्यू का हवाला भी दिया कि अभी कर्फ्यू नहीं हटा है। वे कैसे आएंगे और यह कानून के खिलाफ है। बताया जाता है कि जंतर-मंतर अधीक्षक शशिप्रभा ने चेताया कि अगर नहीं आओगे तो छुट्टी लगा दी जाएगी। निदेशक ह्रदेश कुमार शर्मा ने जंतर-मंतर खोलने को कहा है। मेरी मर्जी से स्मारक नहीं खोल रही हूं। अधीक्षक के तीखे तेवर देख कर्मचारी व गार्ड भी जैसे-तैसे बचते-बचाते वेधशाला पहुंच गए और स्मारक के दरवाजों को खोल दिया। टिकट खिड़की भी खोलकर टिकट बेचने शुरु कर दिए। गाइड़ों और सैलानियों को पता चला तो वे भी गणगौरी बाजार और आतिश मार्केट के चोर दरवाजों से होते हुए जंतर-मंतर पहुंच गए। त्रिपोलिया गेट तिराहे पर हवामहल व दूसरे स्मारक देखने के लिए पुलिसकर्मियों के सामने अंदर जाने की विनती कर रहे पर्यटकों और गाइड़ों को पता चला तो वे भी वहां पहुंचने लगे। देखते ही देखते ही वेधशाला में गाइड पर्यटकों को लेकर पहुंचने लगे। दो घंटे तक कर्फ्यू के दौरान सुबह नौ से ग्यारह बजे तक वेधशाला खुली रही। जान जोखिम में डालकर पर्यटक व गाइड वहां पहुंचते रहे। वेधशाला देखने के बाद जब पर्यटक और गाइड जलेबचौक से होते हुए हवामहल और आमेर रोड पहुंचने लगे तो वहां तैनात पुलिस का माथा ठनका। कर्फ्यू में जंतर-मंतर खुला होने का पता चलने पर माणकचौक थाना पुलिस ने फोन करके अधीक्षक शशिप्रभा को लताड़ा और स्मारक खोलने की अनुमति मांगी तो उन्होंने अनुमति नहीं होने की कही और विभाग निदेशक के कहने पर स्मारक खोलने के बारे में बताया। इस पर पुलिसकर्मी भेजकर स्मारक बंद करवाया गया और पर्यटकों व गाइड़ों को वहां से निकाला गया। इस दौरान पर्यटकों और स्मारक कर्मचारियों में कहासुनी भी हुई।्रगौरतलब है कि पुलिस ने कर्फ्यू में ढील दोपहर बारह से शाम छह बजे तक दी थी। पुरातत्व विभाग ने सुबह नौ बजे ही कर्फ्यू के दौरान जंतर मंतर वेधशाला को खोल दिया।
– शिकायत मिलेंगी तो करेंगे कार्रवाई
कर्फ्यू में जंतर-मंतर वेधशाला को खोलने के बारे में जानकारी नहीं है। अगर ऐसा हुआ है तो कानूनी कार्रवाई करेंगे। शिकायत मिलते ही मामला दर्ज करेंगे। यह कहना है माणकचौक थानाधिकारी का। वहीं डीसीपी नॉर्थ सत्येन्द्र सिंह ने कहा कि इस बारे में पता नहीं है। अगर ऐसा हुआ है गलत है। मामले को दिखवाते हैं।
– कानून उल्लंघन की शिकायत दी
कर्फ्यू में जंतर-मंतर वेधशाला खोलने को लेकर जंतर-मंतर वेधशाला के गाइड़ों जितेन्द्र सिंह चिराणा, बृजमोहन खत्री ने पुलिस आयुक्त संजय अग्रवाल, पुलिस अधीक्षक नार्थ सत्येन्द्र सिंह, अतिरिक्त मुख्य सचिव एन.सी.गोयल, जिला कलक्टर सिद्धार्थ महाजन को लिखित शिकायत दी है, जिसमें सुबह नौ से ग्यारह बजे तक कर्फ्यू में स्मारक को गैर कानूनी तरीके से खोलकर पर्यटकों की जान खतरे में डालने और स्मारक के अस्तित्व को नुकसान पहुंचाने का आरोप लगाया है। शिकायत में कर्फ्यू में संरक्षित स्मारक को खोलने वाले दोषी अफसर-कर्मचारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की मांग की है।
– सीसीटीवी कैमरे और बेचे गए टिकट है सबूत
शिकायत में बताया है कि कर्फ्यू में सुबह नौ बजे से ग्यारह बजे तक जंतर-मंतर को खोलने के सबूत वहां लगे सीसीटीवी कैमरे में मौजूद है। जिसमें अधीक्षक शशिप्रभा और दूसरे कर्मचारी स्मारक को खोल रहे हैं और सैलानी टिकट लेकर स्मारक को देखने अंदर आ रहे हैं। मशीन और हाथ से काटी गई टिकटों में दिनांक और समय इन्द्राज भी।
ये तो भारत की छवि विश्व भर में खराब करने की कोशिश है
जो की राष्ट्रद्रोह का कार्य है
यदि किसी सैलानी के साथ अनहोनी हो जाती तो क्या होता