– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। राजस्थान पुलिस के एक आला अफसर ने अपनी कारगुजारी से सूबे के पुलिस बेडे को फिर से दागदार कर दिया। राजधानी जयपुर में एटीएस मुख्यालय में नियुक्त एएसपी आशीष प्रभाकर ने खुद की सर्विस रिवॉल्वर से पहले उस महिला मित्र को गोली से भूना, जो उन्हें लम्बे समय से ब्लैकमेल कर रही थी। फिर खुद ने भी अपनी कनपटी पर गोली चलाकर जान दे दी। यह पहला मौका नहीं है, जब किसी आला अफसर, राजनेता या किसी धनाढय व्यक्ति, कारोबारी के अपनी महिला मित्र की ब्लैकमेलिंग या अन्य किसी तरह के धोखा देने के कृत्यों के बाद हुए दर्दनाक हादसों व घटनाओं से प्रदेश, समाज हिला नहीं हो। पति, पत्नी और वो (महिला मित्र)के चक्कर में कई जानें जा चुकी है। कुछ बड़े राजनेताओं को महिला मित्र की वेबफाई, ब्लैकमेलिंग और दुष्कर्म मामलों में जेल पहुंचना पड़ा, वहीं महिला मित्रों की हत्या तक हो गई। बड़े आला अफसर भी ऐसे ही झमेलों में फंसकर अपनी नौकरी, प्रतिष्ठा खो चुके हैं और आज भी मारे-मारे फिर रहे हैं। पुलिस इन्हें तलाश रही है और वे भागते फिर रहे हैं। ऐसे तमाम तरह के मामले सामने आने पर भी अफसर, राजनेता ही नहीं दूसरे लोग भी इन घटनाओं से सबक नहीं लेते हैं। अपनी शादीशुदा लाइफ और खुशहाल परिवार, बाल-बच्चों के होने के बाद भी अफसर, राजनेता व अन्य लोग दूसरी महिलाओं से संबंध बनाने की होड़ में लगे हुए हैं। चाहे ऐसे अवैध संबंधों का दुष्परिणाम फिर आशीष प्रभाकर, मधुकर टण्डन, आईएएस मोहंती जैसा होता है। दो दशक से मधुकर टण्डन फरार चल रहे हैं। ऐसा ही कुछ हाल मोहंती का है। ये दोनों आला अफसर भी महिला मित्रों के दुष्कर्म केसों का सामना कर रहे हैं। कांग्रेस के बड़े नेता व पूर्व मंत्री बाबूलाल नागर, महिपाल मदेरणा, मलखान सिंह विश्नोई भी अपनी शादीशुदा जिंदगी को धोखाकर अपनी महिला मित्रों के दुष्कर्म, मर्डर मामलों में जेल में है। कुछ महीने पहले जयपुर के नामचीन तीन व्यापारी भी ऐसे ही कुछ प्रकरण में फंसकर अपनी प्रतिष्ठा दांव पर लगा चुके हैं। हाल ही एक बड़े ज्वैलर्स परिवार के एक सदस्य भी महिला मित्र के दुष्कर्म प्रकरण में फंसकर प्रतिष्ठा को धूमिल कर चुके हैं। आए दिन पति, पत्नी और वो के चक्कर में हत्या, ब्लैकमेलिंग और दूसरे आपराधिक मामले सामने आ रहे हैं। लेकिन फिर भी लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। हर किसी को पता भी है, इस तरह के अवैध संबंधों का क्या नतीजा होता है। पति-पत्नी में अलगाव, परिवार में बिखराव, बच्चों से दूरी। कई बार तो हत्या जैसी जघन्य वारदात तक हो जाती है। प्रतिष्ठा घर-समाज में धूमिल होती है सो अलग। इस तरह के अंजामों के बारे में जानते भी है, लेकिन ना जाने क्यों दलदल में फंसते हैं और फिर आशीष प्रभाकर जैसे कृत्यों को अंजाम देते रहते हैं। अवैध संंबंधों में फंसने, ब्लैकमेलिंग और प्रतिष्ठा को बचाने के फेर में आशीष प्रभाकर ने अपनी जिंदगी को खत्म करके चले गए, लेकिन यह नहीं सोचा कि उनके जाने के बाद उनके परिवार का क्या होगा। आशीष के इस कृत्य से पत्नी, बच्चों और माता-पिता व दूसरे सगे-संबंधियों को भी जीवन भर का दुख दे गए। ऐसी घटनाएं दूसरे लोगों के लिए भी सबक है। जो अपने परिवार व शादीशुदा जिंदगी में जहर खोलते हुए महिला मित्रों के फेर में फंसे हुए हैं। क्योंकि ऐसा ही कुछ उनके साथ भी हो सकता है। इसलिए संभल जाए और परिवार के प्रति वफादार बनें। नहीं तो ऐसे लोगों के साथ भी वैसा ही हश्र हो सकता है जो एसीपी आशीष प्रभाकर व उसकी महिला मित्र, आईपीएस मधुकर टण्डन, आईएएस मोहंती, पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा, बाबूलाल नागर, पूर्व विधायक मलखान सिंह विश्नोई के साथ हुआ है।