नई दिल्ली। हामिद अंसारी ने अपने आखिरी विदाई भाषण में अपने दिल की वे सारी बातें की जो उपराष्ट्रपति रहते वे नहीं कर सके और उनके दिल में ही रही। उन्होंने मोदी सरकार को भी बातों-बातों में अपनी चिंताओं से अवगत करा दिया कि वे जो बातें कर रहे हैं उनका मकसद क्या है। उन्होंने अपरोक्ष रूप से केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि लोकतंत्र में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा बेहद जरूरी है।
अंसारी ने कहा कि देश के मुसलमानों में बेचैनी की भावना औैर असुरक्षा का बोध है। उन्होंने कहा कि देश में ‘स्वीकार्यता का माहौलÓ खतरे में है। अंसारी ने यहां तक कहा कि उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी और मंत्रिमंडल के उनके सहयोगियों के सामने भी असहिष्णुता के मुद्दे को उठाया था। उन्होंने कहा कि नागरिकों की भारतीयता पर सवाल किया जाना एक परेशानी पैदा करने वाली सोच है। उन्होंने इंटरव्यू में पीट-पीट कर की जाने वाली हत्याओं, घर वापसी जैसे मामलों और तर्कवादियों की हत्याओं को भारतीय मूल्यों के खात्मे जैसा करार दिया। सरकारों पर निशाना साधते हुए अंसारी ने कहा, ये मामले ऐसे थे जिनसे लग रहा था कि अलग-अलग स्तर पर अलग-अलग जगहों पर सामान्य कानून को लागू करने में शासन असमथज़् है। दो दिन में दो बार सरकार पर अपरोक्ष हमले करते हुए अंसारी ने एक तरह से अपना विरोध तो प्रकट किया ही सरकार पर भी सवाल खड़ा कर दिया।