जयपुर। कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घोटालों और भ्रष्टाचारों को लेकर प्रदेश की वसुंधरा राजे सरकार पर हमला करते हुए अफसरों को चेताया है कि वे सरकार की शह पर मनमानी ना करें। सत्ता में आने पर कांग्रेस सरकार इन सब जमीनी घोटालों की जांच करवाएगी। दोषियों पर कार्रवाई से नहीं चूकेगी। गहलोत ने मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए पीसीसी चीफ सचिन पायलट का नाम लिए बिना कांग्रेस के युवाओं को तल्ख अंदाज में नसीहत भी दी है। गहलोत ने अपने चिर-परिचित अंजाज में कहा कि वे अपने काम से बडी लाइन खींचे, सीनियर नेताओ की लाइन काटें नहीं।
साथ ही उन्होंने यह भी साफ किया कि उनके जैसे नेता जो इन दिनों पार्टी में बडे पदों पर है, वे एनएसयूआई और यूथ कांग्रेस मे काम करते हुए यहां तक पहुंचे है। अब हम जो समय दे रहे है, वह नई पीढी के लिए दे रहे है। अशोक गहलोत ने यह बातें अपने निवास पर मीडिया से बातचीत में कही और प्रदेश कांग्रेस में वर्चस्व के संघर्ष को लेकर बार-बार उठ रहे विवाद को देखते हुए उनका यह बयान काफी अहम माना जा रहा है। उन्होंने साफ कहा कि यह बात मैंने सिर्फ सचिन पायलट के लिए नहीं कही बल्कि सभी युवा नेताओं के लिए कही है।
-1977 में तो आज भी बुरे हालात थे…
अशोक गहलोत ने यह भी कहा कि इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में 1977 में कांग्रेस पार्टी के लिए आज से भी खराब समय था। तब कांग्रेस ने सिर्फ दो सीट जीती थी। उस समय की स्थिति से आज के हालात काफी ठीक है। आज पार्टी में जितने भी नेता बडे पदों पर है चाहे वह राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष या उप नेता प्रतिपक्ष हो या राज्यों के मुख्यमत्री हो या पार्टी महासचिव हो, वे सब ऐसे नेता हैं जो मेरे समय यूथ कांग्रेस या एनएसयूआई में काम कर रहे थे और उन्होंने वहां काम करते हुए अपने काम की बडी लाइन खींची और आज पार्टी में बडे पदों पर है। युवा नेताओं को भी ऐसा ही कुछ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जरूरत इस बात की है कि हम पदों के पीछे न भागें, बल्कि देश में कांग्रेस का झंडा बुलंद करने में अपना सहयोग दें।
गहलोत ने यह भी कहा कि आज हम सीनियर नेता पार्टी के लिए जो समय दे रहे है, वह इसीलिए दे रहे हैं कि युवा नेताओं को सही रास्ता दिखा सकें, ताकि वे देश के भविष्य के बारे में निर्णय कर सकें। पार्टी नेताओं का कहना है कि अपने इस बयान के जरिए गहलोत ने एक साथ कई तीर छोडे है। उन्होंने युवा नेताओं को अपनी मेहनत से आगे बढने का संदेश दिया है और कहीं न कहीं यह भी जताने की कोशिश की है, उन जैसे नेता पैराशूटी नेता नहीं है, बल्कि अपनी मेहनत से आगे बढे है और इसीलिए आज इस मुकाम पर पहुंचे है। उन्होंने राजस्थान सहित मध्य प्रदेश, हरियाणा और अन्य राज्यों में भी नेतृत्व को लेकर युवा और पुराने नेताओं के बीच चल रहे संघर्ष को अपने बयान से साधने की कोशिश की है और यह संदेश दिया है कि सीनियर नेताओं की काट न करें, बल्कि साथ लेकर चलें।