जयपुर। थाने में दर्ज आपराधिक मुकदमे में मदद करने के एवज में 12 साल पहले 15 सौ रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार हुए सीकर के लक्ष्मणगढ़ थाने में तत्कालीन एएसआई तुलसीराम सैनी निवासी उदयपुरवाटी झुंझुनूं को एसीबी-दो कोर्ट में जज पवन कुमार शर्मा ने दो साल की जेल एवं 4 हजार रुपए के जुर्माने की सजा से दंडित किया है। इस संबंध में खुड़ी छोटी गांव निवासी मदनसिंह मेघवाल ने 11 सितंबर 2006 को एसीबी में रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि गांव के ही रामचंद्र को 2 हजार रुपए उधार दिए थे। उधारी नहीं लौटाने पर झगड़ा हो गया।
रामचंद्र ने थाने में उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी, जिसकी जांच तुलसीराम सैनी को दी गई। 10 सितंबर को दोनों पक्षों ने थाने पहुंचकर राजीनामे पर हस्ताक्षर कर दिये थे, लेकिन एएसआई तुलसीराम दोनों से ढाई-ढाई हजार रुपए की रिश्वत मांग रहा है और कह रहा है कि केस का निबटारा राजीनामे से नहीं होता है। शिकायत सही पाए जाने पर एसीबी ने ट्रेप कार्रवाई शुरू की। सत्यापन में 15 सौ रुपए में सौदा तय हुआ। रिश्वत राशि देते वक्त 12 सितंबर, 2006 को एसीबी ने एएसआई तुलसीराम को रंगे हाथ ट्रेप कर लिया।
इस मामले में चश्मदीद गवाह रहे थाने में तत्कालीन एएसआई छीतरमल कोर्ट में गवाही देते समय आरोपी को बचाने के लिए एसीबी को दिए बयानों से मुकर गया। एसीबी ने थानेदार को कोर्ट से पक्षद्रोही घोषित करवाया। बचाव पक्ष आरोपी थानेदार को बरी कराने के लिए कई कहानियां लेकर कोर्ट में आया, लेकिन कोर्ट ने सभी तर्कों का खंडन करते हुए एएसआई तुलसीराम सैनी को दोषी मान सजा सुनाई।