जयपुर, 5 अप्रैल। राजस्थान हाईकोर्ट ने स्ट्रीट वेडर्स को अपनी जगह से बेदखल करने पर अंतरिम रोक लगा दी है। इसके साथ ही अदालत ने निगम आयुक्त और पुलिस कमिश्नर को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब तलब किया है। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश राष्ट्रीय मानव अधिकार और सामाजिक न्याय संगठन की ओर से दायर याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।
याचिका में अधिवक्ता उदयप्रदीप गौड़ ने अदालत को बताया कि शहर के स्ट्रीट वेडर्स को नियमित करने के लिए नगर निगम की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट वर्ष 2002 में इस संबंध में दिशा-निर्देश जारी कर चुका है। वहीं राजस्थान हाईकोर्ट भी वर्ष 2012 व 2016 में आदेश जारी कर वेंडर जोन घोषित करने के संबंध में आदेश दे चुका है। इसके बावजूद नियम की ओर से नोन वेडिंग जोन घोषित नहीं किए गए। याचिका में कहा गया कि कोई अधिकार नहीं होने के बावजूद भी पुलिस इन वेडर्स से वसूली और प्रताडित कर रही है। इसके अलावा एक अन्य याचिका में नगर निगम मान चुका है कि शहर में करीब पचास हजार स्ट्रटी वेडर्स हैं, लेकिन उसने लाईसेंस देने के लिए केवल साढे सात हजार आवेदन मांगकर प्रक्रिया बंद कर दी। इसके साथ ही प्रभावी सर्वे किए बिना ही अव्यवहारिक रूप से वेडिंग जोन घोषित कर दिए। याचिका में कहा गया कि स्ट्रीट वेडर्स असंगठित हैं।
स्थानीय प्रशासन वर्ष 2011 व वर्ष 2014 के स्ट्रीट वेडर्स एक्ट के प्रावधानों की पालना भी नहीं कर रहा है। निगम प्रशासन आए दिन इनका चालान कर सामान जब्त कर रहा है। जबकि नियमानुसार वेडिंग और नोन वेडिंग जोन घोषित किए बिना इन्हें हटाया नहीं जा सकता। जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने स्ट्रीट वेडर्स को हटाने पर अंतरिम रोक लगाते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।