नयी दिल्ली। उद्योग मंडल एसोचैम ने केंद्र से पनबिजली के लिये माल एवं सेवा कर (जीएसटी) पवन तथा सौर ऊर्जा के समतुल्य रखने का अनुरोध किया है ताकि मूल्य वर्द्धित लागत और कर सभी अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं के लिये एक जैसा हो। देश में ‘पनबिजली की जरूरत, उद्योग की मांग’ विषय पर एसोचैम ने एक पत्र में कहा है, ‘‘पनबिजली परियोजनाओं के मामले में उपकरणों पर 18 प्रतिशत और सीमेंट पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगता है।
वहीं सौर ऊर्जा के मामले में इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण (ईपीसी) पर 5 प्रतिशत लगता है। इससे पनबिजली परियोजनाओं से उत्पादित बिजली पर अतिरिक्त लागत पड़ती है।’’ पत्र में कहा गया है कि पनबिजली के लिये ईपीसी अनुबंध को 5 प्रतिशत जीएसटी के अंतर्गत रखा जाना चाहिए। एसोचैम के इस पत्र को बिजली मंत्री आर के सिंह ने कल उद्योग मंडल के एक कार्यक्रम में जारी किया। पनबिजली उद्योग की मांग पर गौर करने का आश्वासन देते हुए सिंह ने सूचित किया कि केंद्र की पनबिजली नीति अंतिम चरण में है और इसे मंजूरी के लिये जल्दी ही मंत्रिमंडल के पास भेजा जाएगा।