Accident Claim

नई दिल्ली। वर्ष 2002 में गुजरात दंगों के दौरान दुष्कर्म का शिकार हुई बिलकिस बनो के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। कोर्ट ने अपने फैसले में 11 दोषियों की सजा को बरकरार रखा है। इन सभी 11 आरोपियों को वर्ष 2008 में मुम्बई के सत्र न्यायालय ने प्रकरण में दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने दोषियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रख सीबीआई की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उसने कुछ दोषियों को मौत की सजा देने की मांग की थी। कोर्ट ने छह लोगों को बरी किए जाने के फैसले को भी पलट दिया। जिनमें चिकित्सक व पुलिसकर्मी शामिल है। इन लोगों पर सबूतों से छेड़छाड़ का आरोप है। जिन्हें निचली कोर्ट ने रिहा कर दिया था। बात दें मार्च 2002 में गुजरात के अहमदाबाद से 250 किलोमीटर दूर रंधीकपुर गांव में बिलकिस व उसके परिवार पर भीड़ ने हमला कर दिया था। जब यह वाकया घटित हुआ इस दरम्यान बिलकिस 19 साल की थी और गर्भ से थीं। दोषियों ने घटना को अंजाम देते हुए गैंगरेप किया और उसके परिवार के 14 लोगों की हत्या कर दी। इनमें तीन दिन का शिशु भी था। रेप करने के बाद बिलकिस को जमकर पीटा गया और उसे मरा हुआ समझकर छोड़ गए। इस मामले में सुनवाई में जनवरी 2005 से शुरू हुई थी। सीबीआई ने कोर्ट से दोषियों में शामिल तीन लोगों के लिए सजा बढ़ाते हुए मृत्युदंड की मांग की थी, इसके पीछे सीबीआई का तर्क था कि यह एक सामूहिक हत्याकांड सरीखा गंभीर अपराध है।

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