Bamashah card swipe machine should be investigated by the tender why not by CBI

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने भामाशाह कार्ड स्वाइप मशीन का टेंडर देने के मामले में हुई कथित अनियमितता के मामले में राजकॉम्प इन्फो सर्विसेज, पुलिस कमिश्नर तथा एसीबी के डीजी को नोटिस जारी किए हैं। अदालत ने अफसरों से पूछा है कि क्यों न मामले की जांच सीबीआई को सौंपी जाए। मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रजोग और न्यायाधीश जीआर मूलचंदानी की खंडपीठ ने यह आदेश डॉ. त्रिलोकीनाथ शर्मा की ओर से दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिए।

याचिका में कहा गया कि राजकॉम्प ने वर्ष 2014 में भामाशाह स्वाइप मशीन के टेंडर निकाले थे। जिसमें शर्ता थी कि भाग लेने वाली कंपनी स्वयं उपकरण बनाती हो और उसका सालाना टर्न ओवर 17 करोड रुपए का हो। याचिका में आरोप लगाया गया कि मोहित अग्रवाल ने फर्जी दस्तावेज लगाकर टेंडर हासिल कर लिया। इस संबंध में पूर्व में पेश जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से कहा गया था कि कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर भुगतान रोक दिया गया है। याचिका में आरोप लगाया गया कि इसके बावजूद याचिका निस्तारण के बाद मोहित अग्रवाल को करोडों रुपए का भुगतान किया गया। वहीं अधिकारियों की मिलभगत पाए जाने के बावजूद न तो उनके खिलाफ कार्रवाई की गई और न ही दिया गया 53 करोड़ रुपए का भुगतान वापस लिया गया। याचिका में गुहार की गई की मामले की सीबीआई से कराई जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

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