जयपुर। संपत्ति के मूल्याकंन के दौरान वैल्यूअर के साथ मिलीभगत कर बैंककर्मियों ने पहले संपत्ति की कीमत वास्तविक कीमत से बेहद कम आंकी और फिर नीलामी के दौरान कम कीमत में बैंककर्मी ने ही इसे खरीद लिया। आरोप है कि बैंक के आला अधिकारी भी इस मिलीभगत में शामिल हैं। इस संबंध में मानसरोवर थाना पुलिस ने बैंक आॅफ बड़ौदा के डीजीएम, मैनेजर सहित चार जनों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
करधनी निवासी अजीत सिंह ने मामला दर्ज कराया है।
अजीत सिंह का आरोप है कि उसने न्यू सांगानेर रोड पर मान्यावास में राजीव विहार कॉलोनी में साठ लाख रुपए में प्लॉट खरीदा था। अजीत ने इसको गिरवीं रखकर बैंक आॅफ बड़ौदा से लोन लिया था। पिछले वर्ष से वह लोन की किस्तें समय पर नहीं चुका पाया, इस पर बैंक ने उनकी पत्नी के नाम से लिए गए लोन खाते को एनपीए घोषित कर दिया। संपत्ति पर लोन के समय बैंक के वैल्यूअर ने दो वर्ष पहले 14 जून को इसकी कीमत 98 लाख रुपए बताई थी, जबकि पिछले वर्ष 22 दिसंबर को वैल्यूअर महेन्द्र सिंगल ने इसकी कीमत साढ़े 84 लाख बताई थी। इसी तरह इस वर्ष 4 फरवरी को आरोपियों ने दोबारा संपत्ति का मूल्याकंन कराया और इसकी कीमत महज 65 लाख 61 हजार रुपए दिखाई थी, और नीलामी में इसे 66 लाख में खरीद लिया।
परिवादी अजीत का आरोप है कि यह बेशकीमती जमीन महारानी फार्म हाउस के पास है और मेट्रो स्टेशन से महज एक किलोमीटर दूर है। ऐसे में इसकी कीमत बढ़नी चाहिए, जबकि बैंककर्मियों ने इसकी कीमत घटा दी। मानसरोवर थाना पुलिस ने इस्तगासे के जरिये मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। परिवादी ने बैंक आॅफ बड़ौदा के डीजीएम पी.वी. राठी, बैंक मैनेजर राजीव जैन, बैंककर्मी संजय जोशी सहित आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। पुलिस दस्तावेजों की पड़ताल में जुटी है।