– बारां जिला प्रमुख क्रॉस वोटिंग व सांसद कार्यालय को घेरकर हमला-पथराव मामले की जांच रिपोर्ट भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को सौंपी, लेकिन रिपोर्ट का खुलासा करने से बच रहे हैं नेता।
– राकेश कुमार शर्मा
जयपुर। बारां जिला प्रमुख के चुनाव में भाजपा के बहुमत के बावजूद कांग्रेस सरकार के एक मंत्री की पत्नी का जिला प्रमुख बन जाना और इसके बाद सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के पुत्र दुष्यंत सिंह के निवास को घेरकर हुए पथराव व हमला क्या कोई छोटी घटना है? निश्चित रूप से नहीं है, लेकिन फि र भी ऐसे क्या कारण हैं कि आज घटना के महीने बाद भी पार्टी ने इस पूरे प्रकरण पर चुप्पी साधी हुई है। जबकि जिला प्रमुख पद हारते ही प्रदेश नेतृत्व ने राष्ट्रीय नेतृत्व को इस बारे में बताते हुए कमेटी गठित कर दी थी। कमेटी बारां जिला प्रमुख चुनाव प्रभारी व वरिष्ठ विधायक वासुदेव देवनानी के नेतृत्व में बनाई गई। देवनानी ने रिपोर्ट भी दे दी। प्रेसवार्ता रिपोर्ट के बारे में सवाल भी पूछे जा रहे हैं, लेकिन प्रदेश अध्यक्ष जवाब नहीं दे रहे हैं और ना ही रिपोर्ट का खुलासा किया जा रहा है।
– गद्दार कौन है अभी तक खुलासा नहीं?
बारां के जिला प्रमुख चुनाव में कांग्रेस सरकार के कद्दावर मंत्री प्रमोद जैन भाया के बावजूद भाजपा का बहुमत हासिल करना कम बडी बात नहीं थी। यह सही है कि पाटीज़् एक वोट से ही आगे थी, लेकिन प्रमोद जैन भाया बारां में बहुत दमदार मौजूदगी रखते हैं और यह तो उनकी निजी प्रतिष्ठा का सवाल था, क्योकि उनकी पत्नी उर्मिला जैन भाया ही चुनाव मैदान में थी। हाालंकि परिणाम के बाद भी यह माना ही जा रहा था कि भाया जैसे-तैसे जुगाड़ कर ही लेंगे और उन्होंने कर भी लिया, लेकिन इसमें कोई शक नहीं कि भाजपा एकजुट रहती तो यह पार्टी के लिए बहुत बडी जीत होती। जैसे कोटा में पार्टी एकजुट दिखी और तमाम प्रयासों के बावजूद कांग्रेस के तीन-तीन दिग्गज सेंधमारी कर नहीं पाए। बहरहाल जो हुआ, वो सब ने देखा और इस घटना के बाद जो हंगामा हुआ, वह तो अप्रत्याशित था। आमतौर पर ऐसा होता नहीं है, लेकिन पार्टी कार्यकर्ताओं ने जिस तरह सांसद दुष्यंत सिंह के निवास को चारों तरफ से घेरकर निशाना बनाया गया, वह भी अजीब था। आम तौर पर घर के सामने पथराव या हमला होता है, लेकिन सांसद निवास को चारों तरफ घेरा हुआ था। निवास पर मौजूद प्रभारी वासुदेव देवनानी, विधायक संदीप शर्मा समेत अन्य नेताओं ने पीछे से निकलने की कोशिश की, लेकिन वहां भी कार्यकर्ताओं की भीड़ व पथराव के सामने बेबस ही दिखे। निवास पर भारी तोडफ़ोड़ की गई। देवनानी व दूसरे नेताओं की कारों को तोड़ डाला। इससे साफ है कि सुनियोजित तरीके से यह सब कुछ करवाया गया है। पार्टी नेतृत्व ने क्रॉस वोटिंग व हमले की दोनों घटनाओं की जांच के लिए प्रदेश के दो नेताओं के नेतृत्व में कमेटी भी बना दी। चुनाव प्रभारी वासुदेव देवनानी एक पखवाड़े पहले ही अपनी रिपोटज़् पार्टी नेतृत्व को दे चुके हैं। जांच कमेटी भी अपनी रिपोर्ट दे चुकी है। इतने बडे मामले पर पार्टी की चुप्पी कई तरह के सवाल खडे कर रही है। बारां समेत प्रदेश के नेता व कार्यकर्ता भी जानने के इन्छुक है कि सांसद निवास पर हमले के पीछे किसका षड्यंत्र था। साथ ही क्रॉस वोटिंग मामले में पार्टी से गद्दारी करने वाले कौन है।
– एक ही गुट का कारनामा तो नहीं?
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों से जिस तरह की जानकारी मिली है, वह यह बता रही है कि क्रॉस वोटिंग और बाद के हंगामे में पार्टी के एक ही गुट का कारनामा है। इसमें पार्टी के एक प्रदेश पदाधिकारी और हाडौती के एक वरिष्ठ विधायक का हाथ होने की बात सामने आ रही है। बताया जा रहा है कि क्रॉस वोटिंग में भी इनकी संदिग्ध भूमिका रही है। इनके साथ बारां के ही युवा मोर्चा व विद्यार्थी परिषद के तीन-चार पूर्व पदाधिकारी शामिल रहे। एक पुरुष पार्षद से क्रॉस वोटिंग करवाई गई है। जानकारी मिली है कि जिस पार्षद से क्रॉस वोटिंग करवाई गई है, वह व्यापार में घाटे के चलते काफी कर्जे में था। एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की गई। लेकिन सांसद निवास पर जिस तरह से सुनियोजित तरीके से हमला हुआ और चुनाव प्रभारी, सह प्रभारी को नहीं बख्शा गया, उस घटनाक्रम में सारे षड्यंत्र को जगजाहिर कर दिया। सबसे बड़ा सवाल यह है कि सांसद गुट क्यों अपने ही सांसद के निवास में भारी तोडफ़ोड़, नेताओं पर हमले करवाएगा। अगर पुलिस नहीं आती तो इससे भी बुरे हालात होते। बताया जाता है कि क्रॉस वोटिंग पैसों के दम पर हुई। लेकिन बाद में हुआ हंगामा कहीं ना कहीं यह साबित करने की कोशिश थी कि इस क्रॉस वोटिंग के पीछे सांसद गुट का हाथ है और सांसद गुट को संदेह के घेरे में लाने की कोशिश की गई थी। बताया जा रहा है कि चूंकि जिस नेता का नाम आ रहा है, वह प्रदेश पदाधिकारी है। इसलिए पार्टी इस मामले को रफ ा-दफ ा करने की कोशिश में हैं। इसीलिए इस पर अभी तक पार्टी ने चुप्पी साधी हुई है। यहां तक बारां जिला इकाई के छोटे से छोटे कार्यकर्ता पर भी अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है, जो सांसद निवास पर हमले, पथराव व वासुदेव देवनानी व अन्य नेताओं के वाहनों में तोडफ़ोड़ में शामिल थे। उधर, बताया जा रहा है कि इस मामले को लेकर सांसद गुट भी चुप बैठने को तैयार नहीं है और उसने अपनी बात दिल्ली तक पहुंचा दी है। अब आगे क्या होगा यह देखना रोचक होगा। क्योंकि कुछ हुआ नही तो दूसरा गुट शांत भी नहीं बैठेगा और यह स्थिति पार्टी में उपरी स्तर से दिख रही दरार को और चौडा कर देगी।
– कोई टिप्पणी नहीं करुंगा, अध्यक्ष जी ही बताएंगे…
बारां जिला प्रमुख पद पर बहुमत के बाद भी पार्टी की हार को लेकर प्रभारी वासुदेव देवनानी से रिपोर्ट मांगी गई थी। वासुदेव देवनानी ने एक पखवाड़े पहले बारां प्रकरण की रिपोर्ट भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया को सुपुर्द कर चुके हैं। रिपोर्ट के बारे में वासुदेव देवनानी से पूछा तो उन्होंने कहा, मेरे द्वारा रिपोर्ट प्रदेश अध्यक्ष को दी जा चुकी है। अब अध्यक्ष जी ही बताएंगे। मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता। क्रॉस वोटिंग व सांसद कार्यालय को चारों तरफ से घेरकर किए गए पथराव के पीछे एक प्रदेश पदाधिकारी, बारां के युवा मोर्चा व विद्यार्थी परिषद के पूर्व नेताओं की संदिग्ध भूमिका के बारे में पूछा तो उन्होंने किसी भी तरह की टिप्पणी से इनकार करते हुए यही कहा कि अब अध्यक्ष जी ही बताएंगे। उधर, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया से इस बारे में बात करनी चाही, लेकिन फोन उठाने वाले ने बताया कि फ्री होते ही अध्यक्ष जी से बात करवाएंगे। हालांकि उनका फोन नहीं आया।