जयपुर। राजस्थान के पंचायतीराज महकमे में भ्रष्टाचार की जड़े पूरी गहराई तक फैल चुकी है। तभी तो अपने चहेतों को बचाने के फेर में जिला परिषद के अतिरिक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी के आदेशों पर पंचायत समिति प्रभारी अब कुंडली ही मारे बैठे हैं। इसकी बानगी जयपुर जिले के पंचायत समिति जालसू में साफ तौर पर देखी जा सकती है। जहां पंचायत समिति अन्र्तगत ग्राम पंचायत भूरथल में आंगनबाड़ी भवन निर्माण को लेकर उजागर हुए भ्रष्टाचार के मामले में जिला परिषद जयपुर के एसीईओ ने 3 दिवस के भीतर अतिरिक्त राशि की मय ब्याज वसूली के आदेश जारी किए। लेकिन पंचायत समिति बीडीओ इन आदेशों को एक माह से दबाए हुए ही बैठे हैं।

-यह था मामला
जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत भूरथल में वर्ष 2013 में तत्कालिन सरपंच शांति देवी मीणा व ग्राम पदेन सचिव गिरिजा शंकर शर्मा के कार्यकाल में 2 आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण को स्वीकृति मिली। एक आंगनबाड़ी भवन पंचायत भवन के समीप तो दूसरा पंचायत के ही रिसाणी गांव में बस स्टैण्ड के पास बनाया गया। दोनों के लिए कुल राशि 6 लाख 72 हजार रुपए स्वीकृत की गई। पंचायत ने टैण्डर जारी कर इनका निर्माण पूर्ण करा लिया। पंचायत भवन के पास जो आंगनबाड़ी भवन बना उसमें 3.30 लाख रुपए खर्च हुए और रिसाणी में जो आंगनबाड़ी भवन बना उसमें 3.31 लाख रुपए ही खर्च होना बताया गया। जबकि जो शेष राशि बची उसे भी सरकारी कोष में समय रहते जमा नहीं कराया गया।

-सोशल ऑडिट में खुली पोल
पंचायतों में हुए विकास कार्यों के मामले में तत्कालिन राज्य सरकार ने सोशल ऑडिट के जरिए मूल्यांकन कराया तो आंगनबाड़ी भवनों के निर्माण में भ्रष्टाचार की परतें खुलकर सामने आ गई। सोशल ऑडिट की मूल्यांकन रिपोर्ट में बताया गया कि पंचायत भवन के पास जो आंगनबाड़ी भवन उसकी वास्तविक लागत 2.36 लाख रुपए ही आई। इस भवन के निर्माण में पंचायत सरपंच, सचिव व अन्य ने सीधे-सीधे राज्य सरकार को करीब एक लाख रुपए के राजस्व की चपत लगाई गई। इसी तरह रिसाणी के भवन की लागत वास्तविक लागत 2.18 लाख रुपए आई। जबकि कार्य की पूर्णता 3.31 लाख दर्शाई गई। इस तरह इसमें भी एक लाख रुपए से अधिक के राजस्व को हड़प लिया गया।

-आरटीआई से चेता विभाग
इधर सोशल ऑडिट में उजागर हुए भ्रष्टाचार के खेल को तत्कालिन पंचायत समिति आमेर के विकास अधिकारी पूरी तरह हजम कर गए। उन्होंने बकाया की वसूली को लेकर कोई कार्यवाही अमल में नहीं लाई। बाद में पंचायत के जागरुक लोगों ने आरटीआई का सहारा लिया तो खेल बिगड़ते देख पत्र व्यवहार शुरू हुआ। वहीं 13 जुलाई 2017 को इस मामले में जिला परिषद के एसीईओ ने विकास अधिकारी जालसू सुरेन्द्र सिंह राठौड़ को आदेश जारी कर 3 दिवस के भीतर मूल्यांकन से अधिक राशि मय ब्याज वसूली किए जाने के निर्देश दिए।

-आदेशों पर मारी कुण्डली
उधर एसीईओ के आदेशों को विकास अधिकारी पंचायत समिति जालसू ने पूरी तरह कुण्डली मार दी। एसीईओ के आदेशों की पालना तो दूर वे इन आदेशों को अपने कार्यालय से बाहर तक नहीं निकाल पाए। जिससे वसूली संबंधित यह आदेश अभी तक ग्राम पंचायत तक नहीं पहुंचे हैं। जबकि इन आदेशों के मामले में तत्कालिन सरपंच, सचिव को तामिल करा अधिक राशि की वसूली राजकोष के लिहाज से अनिवार्य थी। विकास अधिकारी की मेहरबानी से मामले मे लिप्त रहे लोग सरकारी राशि को पूरी तरह डकराने में जुटे हैं।

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