raajasthaan chunaav: baarah se shuru hogee naamaankan prakriya

जयपुर। राजस्थान सरकार राज्य में 5 नए जिलों की घोषणा कर सकती है। जिलों के गठन के लिए बनाई गई समिति की रिपोर्ट लगभग तैयार है. माना जा रहा है कि मार्च में आने वाले राजस्थान के बजट में 5 नए जिलों के गठन की घोषणा हो सकती है। भाजपा ने गत विधानसभा चुनावों से पहले जारी अपने घोषणा पत्र में नए जिले बनाने का वायदा किया था। राजनीतिक नफे नुकसान का आंकलन करते हुए सरकार इसी बजट में नए जिले बनाने की घोषणा की तैयारी कर ली है। राजस्थान में इस समय 33 जिले हैं। प्रतापगढ को वसुंधरा राजे के पिछले कार्यकाल में ही नया जिला बनाया गया था। इसके बाद से किसी नए जिले की घोषणा की नहीं की गई है, जबकि 24 जिलों से 49 बडी तहसीलों ने जिला बनाए जाने के लिए दावा किया हुआ है। जिलों के गठन के लिए पूर्व आईएएस परमेश चंद्र की अध्यक्षता में गठित समिति नए जिलों के गठन के बारे में प्राप्त दावों का अध्ययन कर रही है। समिति का गठन हुए भी लम्बा समय हो चुका है, लेकिन अभी तक इसकी रिपोर्ट पेश नहीं की गई है। नए जिलों को लेकर सबसे ज्यादा नागौर से पांच जगहों से नए जिलों की मांग उठ रही है। जयपुर और गंगानगर से चार-चार जगहों से नए जिलों की मांग है। इसी प्रकार अजमेर, उदयपुर, अलवर, पाली, सीकर, भरतपुर जिलों से तीन-तीन नए जिलों की मांग उठ रही है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि जल्द ही 5 जिलों के गठन की सिफारिश की रिपोर्ट सरकार को मिल सकती है। हाल में सरकार के राजस्व मंत्री अमराराम ने भी नए जिलों के गठन के संकेत दिए हैं और कहा है कि विकास के लिए नए जिले बनने चाहिए, हालाकि कुछ बचते हुए उन्होंने इसका अंतिम निर्णय मुख्यमंत्री के स्तर पर ही होने की बात भी कही। राजस्थान में जिला बनने के लिए यूं तो 49 तहसीलों ने दावा किया हुआ है, लेकिन इनमें से अजमेर जिले के ब्यावर, जोधपुर के फलोदी, बाडमेर के बालोतरा, नागौर के डीडवाना, जयपुर के शाहपुरा का नाम सबसे प्रमुख बताया जा रहा है। इन तहसीलों से लम्बे समय से जिला बनाए जाने की मांग उठ रही है और जिला बनाए जाने के मापदण्ड भी ये बहुत हद तक पूरा कर रहे है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इन्हें जिला बनाए जाने से भाजपा को जाट और अनुसूचित जाति वर्ग के वोट बैंक का बडा फायदा हो सकत है. क्योंकि इन जिलों में इन दो जातियों का बडा वोट बैंक है। सूत्रो का कहना है कि इस बार के बजट में ये जिले गठित होते हैं तो दिसम्बर 2018 में होने वाले चुनाव तक इनकी प्रशासनिक व्यवस्था मजबूत हो जाएगी और सरकार इसका अच्छा लाभ ले सकेगी।
नए जिलो के गठन की घोषणा में सबसे बडी बाधा आर्थिक भार है। राजस्थान सरकार की स्थिति आर्थिक रूप से बहुत अच्छी नहीं है और इस बार उस पर कर्मचारियों के लिए सातवें वेतन आयेाग की सिफारिशें लागू करने का दबाव भी है। ऐसे में नए जिलों की घोषणा से आर्थिक भार और बढ सकता है। एक जिले के गठन पर करीब एक हजार करोड रूपए का आर्थिक भार पडेगा, क्योंकि जिले में नए सिरे से प्रशासनिक व्यवस्था तैयार करनी होती है।

 

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