जयपुर। राजस्थान के नामी गैंगस्टर रहे आनन्दपाल सिंह उर्फ एपी पर फिल्म बन रही है। यह फिल्म आनन्दपाल के जीवन से लेकर एनकाउंटर पर आधारित है। फिल्म के दो टाइटल बुक कराए गए हैं। टाइगर आॅफ राजस्थान और राजपूताना के नाम से टाइटल बुक कराए हैं। यह फिल्म राजस्थान के नामी कलाकार और निर्देशक अरविंद व्यास बना रहे हैं। फिल्म में आनन्दपाल का रोल बॉलीवुड के नामचीन कलाकार करेंगे, जिनसे करीब-करीब सहमति मिल गई है। दूसरे किरदारों में भी मुम्बई, राजस्थानी और भोजपुरी फिल्मों के कलाकार होंगे। जल्द ही फिल्म की शूटिंग शुरु होने वाली है। फिल्म का मुहूर्त जयपुर में ही होगा। मुहूर्त के दिन फिल्म का पहला गाना रिलीज होगी, जो आनन्दपाल पर आधारित है। बताया जाता है कि फिल्म का मुहूत पन्द्रह अगस्त को होगा, जो भव्य तरीके से किया जाएगा। इसमें राजपूत नेताओं के शरीक होने की उम्मीद है। यह भी संभावना है कि मुहूर्त के मौके पर आनन्दपाल के परिजन भी आए।
इस फिल्म को राजपूत समाज का भी समर्थन बताया जाता है। बकौल फिल्म निर्देशक अरविंद, फिल्म टाइटल बुक करा दिया है। आनन्दपाल के परिजनों से फिल्म को लेकर सहमति मिल चुकी है। स्टोरी तैयार है। आनन्दपाल के इर्द-गिर्द फिल्म रहेगी, जो उनके छात्र जीवन, राजनीतिक उतार-चढ़ाव व षडयंत्र की वजह से अपराध जगत में प्रवेश और एनकाउंटर का हिस्सा भी रहेगा। फिल्म में बताया जाएगा कि किस तरह से टीचर बनने का सपना देखने वाला एक युवा षड्यंत्र और साजिशों का शिकार बनता गया एवं फिर अपराध जगत में पहुंच गया। फिल्म में आनन्दपाल के प्रधान का चुनाव लड़ने और राजनीतिक षड्यंत्र, जीवण गोदारा और फोगावट मर्डर, लेडी डॉन अनुराधा व सुभाष बानूडा जैसे दोस्तों के किस्से तो होंगे, साथ ही डीडवाना कोर्ट की पेशी के बाद फरारी और एनकाउंटर के दृश्य भी फिल्माए जाएँगे।
फिल्म को कंट्रोवर्सी से दूर रखा जाएगा। एक सच्चाई बताने की कोशिश की जाएगी। भले ही निर्देशक अरविंद इसे कंट्रोवर्सी से दूर रखने की कह रहे हो, लेकिन राजस्थान के राजपूत समाज में आनन्दपाल एनकाउंटर का मामला आज भी जीवंत है। एनकाउंटर को फर्जी बताते हुए राजपूत समाज ने बड़ा आंदोलन भी छेड़ा था। आज भी इस मुद्दे पर समाज के पदाधिकारियों और नेता की मांगे सामने आती रहती है। चर्चा है कि यह फिल्म विधानसभा चुनाव से पहले आ सकती है। अगर ऐसा हुआ तो यह फिल्म धमाल मचा सकती है। क्योंकि आनन्दपाल और उनके परिवार के प्रति राजपूत समाज काफी सेंसटिव है। चुनाव में आनन्दपाल एनकाउंटर वैसे भी मुद्दा रहेगा। उससे पहले फिल्म आई तो यह मुद्दा ज्यादा गरमा सकता है और एक दल विशेष को नुकसान पहुंच भी सकता है। वैसे भी राजपूत समाज ने उस दल विशेष की खिलाफत की आवाज बुलंद कर रखी है। अब देखना है कि फिल्म कब रिलीज होती है और यह क्या गुल खिलाती है। वैसे यह तय है कि यह फिल्म राजस्थान ही नहीं दूसरे राज्यों में भी खूब चल सकती है। एक समाज के साथ दूसरे समाज के लोग भी इसे देखना चाहेंगे।