जयपुर। आज अजमेर डिस्कॉम में बीएम भामू को डायरेक्टर टेक्निकल और एमडी बनाया गया है। इससे पहले इस पद पर महिराम विश्नोई कार्यरत थे। कारण यह बताया जा रहा है कि महिराम विश्नोई ने एमडी पद से रिजाइन कर दिया है। मगर अंदरखाने में चर्चा है कि उनकी आला अधिकारियों से पटरी नहीं बैठ रही थी जिस कारण उनको लगातार हटाने की चर्चा चल रही थी और उनको खुद को भी अंदेशा था कि मुो कभी भी हटाया जा सकता है। इसलिए इन्होंने पहले ही रिजाइन कर दिया।
गौरतलब है कि महिराम को वैकेंसी निकाल कर साक्षात्कार प्रक्रिया के दौरान चयन करके एमडी के पद पर लगाया गया था और इनका कार्यकाल 3 वर्ष का था। मगर ऐसा क्या हुआ, क्या परिस्थितयां बनी की उन्हें अपना कार्यकाल पूरा होने से पहले ही रिजाइन करना पड़ा। महिराम का इस प्रकार रिजाइन करना यह दर्शाता है कि डिस्कॉम में किस तरह से नियम बनाए जाते हैं और कैसे उनके साथ खिलवाड़ किया जाता है। जिसका यह जीता जागता नमूना है। यह दर्शाता है कि डिस्कॉम में किस कदर गुटबाजी का खेल परदे के पीछे बैठकर खेला जा रहा है मोहरे तो सामने नजर आ रहे हैं मगर इसके पीछे इन मोहरों की चाल बदलने वाले खिलाड़ी नजर नहीं आ रहे हैं। यही वह खिलाड़ी है जो डिस्कॉम को पलीता लगा रहे हैं जिससे बिजली विभाग को हमेशा शर्मिन्दगी उठानी पड़ती है। मगर यह खेल आज का नहीं है बहुत पुराना और अजमेर अकेला ऐसा जिला भी नहीं है जहां इस तरह गुटबाजी चल रही है। ऐसा ही हाल जयपुर डिस्कॉम का भी है जहां बड़े अफसर जब मन चाहे किसी को भी चार्जशीट देते और जब चाहे किसी भी इन्जिनियर को किसी भी पद पर बैठा दे। कहने का मतलब है कि डिस्कॉम में यस सर की परम्परा चल रही है अगर पद पर बने रहना है तो यस सर कहते जाओ काम करते जाओ और अगर गलती से नो सर बोल दिया जो फिर गेट आऊट हो जाओ। ऐसा ही एक मामला जयपुर डिस्कॉम में भी सामने आ चुका है जहां विभाग के एमडी रहे ए.के. बोहरा को एमडी के पद पर रहते हुए काम नहीं करने दिया गया तथा उनके खिलाफ विभाग में षडयंत्र भी रचे गए ताकि वे खूद ही परेशान होकर इस्तीफा देकर अपना पद छोड़ दे। और हुआ भी ऐसा ही। अब तो लगने लगा है कि डिस्कॉम में एमडी-एमडी का खेल चल रहा है। और विभाग में चर्चा भी चलती रहती है कि कौन बनेगा एमडी?
महिराम के स्थान पर बी.एम भामू को उनका कार्यभार दिया गया है जो कि अब अजमेर डिस्कॉम में एमडी पद पर बिजली विभाग का काम देखेंगे। हालांकि कारणों का पता नहीं चल सका है कि क्यों विश्नोई को हटाकर उनके स्थान पर भामू को एमडी बनाया गया है। लोगों में इस बात की खासी चर्चा है कि एकदम से यह फेरबदल कैसे हो गया। जबकि बीएम भांमू के खिलाफ अनियमिताओं की कई शिकायतें पहले ही चल रही है ऊपर से उनको एक ही दिन में डायरेक्टर टेक्निकल और उसके तुरंत बाद एमडी का चार्ज देकर बैठा दिया गया। क्या वे इतने लायक है क्या उनके खिलाफ हुई शिकायतों की जांच में निर्दोष पाए गए हैं। या फिर जांच हुई ही नहीं। यह सब बातें जवाब मांगती है जो शायद अभी किसी के पास नहीं है मगर समय के साथ इनके जवाब शायद मिल भी जाएंगे मगर राजस्थान सरकार के इस महत्वपूर्ण विभाग में क्या यही एक कर्तव्यनिष्ठ और काम करने लायक अधिकारी बचा था जो इसके खिलाफ शिकायतें होने के बावजूद भी इतना महत्वपूर्ण चार्ज इसे सम्भला दिया गया। जिसके अंडर में 1500 करोड़ की परियोजना का काम भी होना क्या गारण्टी है उसमें अनियमितता नहीं होगी।