जयपुर। गुजरात चुनाव में राजस्थान के दो बड़े नेताओं को चुनावी समर की कमान मिली हुई थी। कांग्रेस ने पूर्व सीएम अशोक गहलोत को तो भाजपा ने राज्यसभा सांसद भूपेन्द्र यादव को भाजपा की जि मेदारी दे रखी थी। गुजरात में भाजपा की छठी बार जीत से भूपेन्द्र यादव का तो कद बढ़ा है, साथ ही कांग्रेस की सीटें ८० आने से गहलोत को भी इसका भरपूर फायदा मिलेगा। गुजरात भाजपा के बूथ मैनेजमेंट और चुनाव प्रचार की पूरी जि मेदारी यादव के पास थी। हर बूथ पर कार्यकतार्ओं की टीमें गठित करके ना केवल लोगों को पार्टी से जोड़ा रखा, बल्कि नाराज चल रहे पाटीदारों, दलित व दूसरे समुदाय के साथ नाराज कार्यकतार्ओं की समझाइश में टीमें लगाई। कमजोर सीटों पर निष्ठावान कार्यकतार्ओं को जि मा दिया। कांग्रेस के मजबूत किले में सेंधमारी की। यहीं कारण है कि तेजी से गुजरात में उभरी कांग्रेस को सत्ता के करीब नहीं जाने दिया। इसी तरह अलग-अलग गुटों व नेताओं में बंटी कांग्रेस को अशोक गहलोत ने अपने करिश्माई नेतृत्व से एकजुट किया। बड़बोले शंकर सिंह वाघेला जैसे नेताओं पर नकेल कसी। हालांकि वाघेला की बगावत से कांग्रेस को कुछ सीटों पर नुकसान झेलना पड़ा। फिर भी गहलोत ने हर उस वरिष्ठ नेताओं को एक किया, जो अलग अलग झण्डे उठाते हुए एकला चालो की नीति पर थे। उनके मतभेद दूर किए। कार्यकतार्ओं की नाराजगी दूर की।
यहीं नहीं अपने आंदोलन से गुजरात की राजनीति को हिलाने वाले पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर और दलित नेता जिग्नेश मेवाणी को कांग्रेस के पक्ष में किया। ठाकोर व मेवाणी के समर्थन से विधायक चुने भी गए। यहीं नहीं कांग्रेस से छिटक चुके समाज व समुदायों के नेताओं को फिर से पार्टी से जोड?े की कवायद शुरू की। चुनाव से पहले ही गुजरात में राहुल गांधी के आक्रामक प्रचार करवाया। जिसकी बदौलत गुजरात का चुनाव पूरे देश में ना केवल चर्चित हुआ, बल्कि राहुल गांधी को एक परिपक्व व आक्रामकता नेता के तौर पर पहचान मिली। गुजरात में भाजपा की जीत और कांग्रेस के भी पिछली बार के मुकाबले अधिक सीटें जीतने से राजस्थान के इन दोनों नेताओं का कद बढ़ा है। भविष्य में पार्टी में इसका फायदा भी मिलेगा। अशोक गहलोत के समर्थक तो कहने भी लगे है कि राजस्थान की कमान अशोक गहलोत को दी गई तो यहां कांग्रेस सत्ता में आ सकती है। इसके लिए लामबंद भी शुरू हो गई है। वैसे भी अगले साल राजस्थान के साथ ही मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ में विधानसभा चूुनाव है। इन तीनों राज्यों में भाजपा की सरकार है। तीनों ही राज्यों में कांग्रेस मु य विपक्षी दल है और मजबूत स्थिति में भी है। ऐसे में राजस्थान में अशोक गहलोत को पीसीसी चीफ बनाया जा सकता है। हालांकि पूर्व पीसीसी चीफ सीपी जोशी भी इस पद के प्रबल दावेदार है।