जयपुर। गुजरात की पूर्व राज्यपाल डॉ. कमला व अन्य प्रभावशाली लोगों से जुड़े सरकारी जमीन के बदले बेशकीमती आवासीय पट्टे लेने के मामले में प्रसंज्ञान आदेश पर कोर्ट आज फैसला देगी। कृषि के लिए राज्य सरकार की ओर से आवंटित 218एकड़ सरकारी भूमि को वापस लेने के बाद नियम विरुद्ध तरीके से उसके बेशकीमती आवासीय पट्टे लेने के मामले में पुलिस की जांच रिपोर्ट पर कोर्ट आज फैसला देगी। इस मामले की सुनवाई कर रही एसीएमएम-7 की अदालत में अभियोजन और मुलजिम पक्ष की ओर से बहस हो चुकी है।
पुलिस ने भी मामले में अनुसंधान पूरा करके अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है। कोर्ट आज इस मामले में प्रसंज्ञान आदेश पर फैसला सुनाएगी। इससे पहले मामले में परिवादी संजय किशोर की ओर से एडवोकेट आदित्य जैन और शंकर लाल गुर्जर ने कोर्ट में कहा कि प्रार्थी के परिवाद पर एसीपी वैशाली नगर ने अनुसंधान पूरा करके अपनी रिपोर्ट कोर्ट में पेश कर दी है। अनुसंधान में परिवाद में दर्शाए आरोपियों पर जुर्म होना प्रमाणित माना है। आरोपियों ने नियम विरुद्ध तरीके से सरकारी जमीन के आवासीय पट्टे लेकर सरकार को करोड़ों रुपए की चपत लगाई है। आवंटित की गई सरकारी जमीन का मुआवजा उठाना गलत है। आरोपियों ने साजिश करके बेशकीमती आवासीय पट्टे प्राप्त किए है, जो इन्हें गैर कानूनी तरीके से लिए हैं। इसलिए मामले में प्रसंज्ञान लेकर आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।
गौरतलब है कि कृषि को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 53 में पच्चीस साल के लिए 218 एकड़ कृषि भूमि बैटर फारमिंग सोसायटी को दी थी। इसकी लीज अवधि 1978 में समाप्त हो गई। इस समिति के मूल सदस्यों को हटाकर अन्य लोग सदस्य बन गए और सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत करके यह जमीन अपने नाम करवा ली और तहसीलदार व जिला प्रशासन ने इन्हें खातेदार अधिकार भी दे दिए। 1999-2000 में राज्य सरकार ने करधनी योजना और पृथअवीराज नगर आवासीय योजना के लिए 218 एकड़ जमीन अवाप्त कर ली। समिति के 17 सदस्यों ने फर्जी दस्तावेज तैयार करके अवाप्ति के बदले मुआवजा मांगा और सरकार अधिकारियों ने भी नियम-कायदों को धत्ता बताते हुए हर सदस्य को 1516-1516 वर्गमीटर की आवासीय भूमि आवंटित कर दी। जबकि सरकार की ओर से आवंटित जमीन के खातेदारी अधिकार राजस्थान टिनेन्सी एक्ट के प्रावधानों के अनुसार नहीं दिए जा सकते हैं। आवंटन शर्तों की भी समिति ने पालना नहीं की। कृषि भूमि पर खेती नहीं हो रही थी।
जवाहर नगर निवासी संजय किशोर अग्रवाल की ओर से पेश परिवाद में कृषि भूमि लेने वाली सोसायटी के सदस्य आरोपी बनाए गए हैं। परिवाद में अमर सिंह जाट, अजय कुमार जाट, चन्द्र प्रकाश गुलेरिया, गोपी राम रैगर, गोपाल राम हरिजन, हरिनारायण मीणा, हनुमान सिंह जाट, राधा कृष्ण चौधरी, रतन सिंह, रणवीर सिंह जाट, राकेश कुमार सिंह, राजेन्द्र सिंह पूनिया, सूरजा राम, शांति देवी बलाई, संजीव आर्य, सुमित शर्मा व विजयपाल आर्य को आरोपी बनाया है। डॉ. कमला पर आरोप है कि इन्होंने भी गलत तरीके से 1516 वर्गमीटर आवासीय भूमि प्राप्त कर रखी है। उन्हें संविधान की धारा 261 में आपराधिक अभियोजन नहीं किए जाने की छूट मिली हुई है। इसलिए इन्हें आरोपी नहीं बनाया है।