नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े घोटाले में शुमार टू-जी स्पेक्ट्रम घोटाले में बड़ा फैसला आया है। इस मामले की सुनवाई कर रही सीबीआई मामलात की विशेष अदालत ने सभी सत्रह आरोपियों को बरी कर दिया है। गुरुवार को आए इस फैसले के बाद कांग्रेस, द्रमुक को बड़ी राहत मिली है। दोनों ही दलों के नेताओं पर अरबों रुपए के घोटाले के आरोप लगे थे। सीबीआई कोर्ट ने तत्कालीन केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री ए. राजा, डीएमके नेता और पूर्व सीएम करुणानिधि की बेटी सांसद कनीमोझी, टेलीकॉम सचिव सिद्धार्थ बेहरुआ, आरके चंदोलिया, गौतम दोषी समेत सत्रह आरोपियों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। इस घोटाले में सीबीआई ने सभी आरोपियों को अरेस्ट किया था। तत्कालीन पीएम मनमोहन सिंह समेत कांग्रेस व डीएमके पर स्पेक्ट्रम लाइसेंस में भारी घोटाले के आरोप लगे थे। तब सीबीआई ने अस्सी हजार रुपए की चार्जशीट कोर्ट में चालान के तौर पर पेश की थी।
तब भाजपा समेत तमात विपक्षी दलों ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया था कि यह देश का सबसे बड़ा घोटाला है। कांग्रेस की शह पर इसे अंजाम दिया गया है। पूरे में देश में यह घोटाला छाया। तब सुप्रीम कोर्ट ने एक सौ बाइस लाइसेंस रद्द कर दिए थे। सीबीआई ने आरोप पत्र में 1.76लाख करोड़ रुपए का घोटाला करार दिया था। 122 लाइसेंस के आवंटन से 30,984 करोड़ रुपए का नुकसान होना बताया था। इस मामले में सीबीआई ने दो केस दर्ज कर रखे हैं। पहले केस में ए राजा और कनिमोझी समेत सत्रह आरोपी है। दूसरे मामले में एस्सार ग्रुप के प्रमोटर रवि रुइया और अंशुमन रुइया, लूप टेलीकॉम के प्रमोटर किरण खेतान, उनके पति आई पी खेतान और एस्सार समूह के निदेशक (स्ट्रैटजी एंड प्लानिंग) विकास सरफ आरोपी हैं। एक केस प्रवर्तन निदेशालय में भी चल रहा है।