नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय और देश के 24 उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों का वेतन ढाई गुना से अधिक बढ़ाने के प्रावधान वाला एक विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने ‘उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश (वेतन और सेवा शर्तें) संशोधन विधेयक, 2017’ पेश किया जिसमें जजों का एचआरए भी एक जुलाई, 2017 के प्रभाव से बदलने का प्रस्ताव है। संसद से विधेयक को मंजूरी मिलने और इसके कानून बनने के बाद भारत के प्रधान न्यायाधीश का मासिक वेतन मौजूदा एक लाख रुपये के बजाय 2.80 लाख रुपये हो जाएगा। इसी तरह उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों का मासिक वेतन ढाई लाख रुपये हो जाएगा जो फिलहाल 90 हजार रुपये है।
विधेयक में उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों का मासिक वेतन 2.25 लाख रुपये करने का प्रावधान है जो इस समय 80 हजार रुपये महीने है। अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों के लिए सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों की तर्ज पर की जा रही यह वेतनवृद्धि एक जनवरी, 2016 के पूर्व प्रभाव से लागू होगी। प्रसाद सदन में विधेयक पेश करने थोड़ा देर से पहुंचे तो लोकसभा अध्यक्ष ने उनसे समय पर आने को कहा। प्रसाद ने कहा कि वह राज्यसभा में व्यस्त होने की वजह से थोड़ा विलंब से आ सके हैं।
उल्लेखनीय है कि पिछले साल तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश टी एस ठाकुर ने सरकार को पत्र लिखकर उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के जजों की पगार बढ़ाने की मांग की थी। विधेयक पेश किये जाने के बाद तेलंगाना राष्ट्र समिति के एपी जितेंद्र रेड्डी ने इसे पेश किये जाने पर विरोध दर्ज कराया लेकिन लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें इसके लिए पहले नोटिस देना चाहिए था। अब विधेयक पेश हो चुका है।