Chidambaram

नई दिल्ली। उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड में कांग्रेस को मिली करारी हार के बाद तो अब एक-एक करके कांग्रेसी नेता यह मानने लगे हैं कि पीएम मोदी को कड़ी टक्कर देना अभी उनके बूते से बाहर की बात होगी। पहले जहां वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने महागठबंधन की बात कही थी, वहीं अब पूर्व केन्द्रीय मंत्री रहे पी.चिदंबरम ने कहा कि कांग्रेस का संगठनात्मक ढांचा भाजपा और आरएसएस के सामने कहीं भी नहीं टिकता। अपनी पुस्तक फियरनलेस इन ऑपोजिशन का विमोचन करते हुए चिंदबरम ने कहा कि हमें इस बात को स्वीकार कर लेना चाहिए कि यह वो ताकत है, जिसमें वोट हासिल किए जाते हैं और वो लोग वोट बटोरने में सक्षम और हमें कहीं ज्यादा मजबूत हैं। उन्होंने कहा कि अगर भाजपा और आरएसएस के ढांचे को बंगाल टीएमसी या तमिलनाडू के एआईएडीएमके से मिलाने का प्रयास करें तो उन्हें हार ही झेलनी पड़ेगी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरीखी राष्ट्रीय पार्टी के लिए एक राष्ट्रीय चुनाव लडऩे और 29 राज्यों के लिए अलग-अलग चुनाव लडऩे में अलग रणनीतियों की जरुरत हैं। जो रणनीति गुजरात के लिए सही है, वह रणनीति असम के लिए सही नहीं हो सकती। नोटबंदी के मामले में उन्होंने कहा कि कांग्रेस राजनीतिक बहस जरुर हारी, लेकिन आर्थिक बहस में उसे जीत ही मिली है। उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया अभी पूरी तरह परिपक्व नहीं हुई है। विपक्ष को अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए भूख हड़ताल का सहारा लेना पड़े तो यह पता चलता है कि लोकतंत्र अभी परिपक्व नहीं हुआ। लोग आज भी डरते हैं कि सरकार के खिलाफ बोले तो मुश्किल में न पड़ जाएं। आज विपक्ष की जगह सिकुड़ती जा रही है। दलित, अल्पसंख्यक, एनजीओ सभी बुरी तरह भयभीत है।

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