नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में अशांति का माहौल है। तमाम प्रयासों और सख्ती के बावजूद कश्मीर में हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। पहले तो युवक ही सेना और पुलिस पर पत्थरबाजी में लिप्त थे, अब तो स्कूली छात्र-छात्राएँ भी विरोध में उतरने लगी है। हिंसक प्रदर्शनों और सरकार विरोधी माहौल के चलते श्रीनगर लोकसभा में मात्र सात फीसदी मतदान हो पाया, जबकि अनन्तनाग में तो विरोध के चलते मतदान ही नहीं हो पाया। दिन-प्रति दिन बिगड़ते माहौल के चलते केन्द्र सरकार भी मानने लगी है कि कश्मीर में हालात विकट है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकी संगठन और समूह कश्मीर में विद्रोह फैला रहे हैं। भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार भी इस विद्रोह व प्रदर्शनों को रोक नहीं पा रही है। ऐसे में अब जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन की मांग उठने लगी है। जिस तरह से हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं, उस हिसाब से ठोस फैसले लेकर इन्हें रोकने और कश्मीर में शांति बहाली करना जरुरी है। कश्मीर में चल रहे विरोध-प्रदर्शन और अशांति के माहौल से भाजपा, पैंथर पार्टी व दूसरे दल भी चिंतित है। अभी घाटी में सुलग रही आग कहीं दूसरे क्षेत्रों में नहीं फैलने लगे, इससे डरे सहमे भी हैं। कश्मीर के इन हालातों पर पैंथर पार्टी के संस्थापक और कश्मीर के दबंग नेताओं में शुमार भीम सिंह का कहना है कि जब से कश्मीर में भाजपा-पीडीपी गठबंधन की सरकार बनी है, तब से अशांति का माहौल ज्यादा बढ़ा है। राज और प्रशासन पर सरकार की कोई पकड़ नहीं है। ना ही हिंसक प्रदर्शनों पर रोक लग पा रही है। कश्मीर को पूरी दुनिया में बदनाम किया जा रहा है। भीम सिंह ने एक मीडिया में आरोप लगाया कि केन्द्र की भाजपा सरकार और आरएसएस के हिन्दुत्व एजेण्डे के चलते कश्मीर में हालात विकट हो रहे हैं। कश्मीर में सरकार ना की कोई चीज नहीं है। अगर शांति बहाली नहीं हुई तो आने वाले समय में हालात हाथ से निकल सकते हैं। उनका तो यहां तक कहना है कि स्थिति सुधारी नहीं गई और कश्मीर की गठबंधन सरकार छह महीने भी ऐसे ही चलती रही तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है। कश्मीर टूट सकता है। ऐसे हुआ तो जम्मू सुलझ सकता है। उन्होंने चिन्ता जताते हुए कहा कि कश्मीर सुलझ रहा है, लेकिन इतने बड़े देश में कोई हलचल तक नहीं हो रही है। यह चिंता का विषय है। अशांति, हिंसा के पीछे के कारणों के बारे में भीम सिंह का कहना है कि कश्मीर को धारा 370 के तहत अधिक स्वायत्तता देना ही भारी भूल रही है। धारा 370 के चलते केन्द्र सरकार भी जम्मू कश्मीर में सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकती है। ऐसे में राज्य सरकारें मनमानी करती है। धारा 370 हटाई जानी चाहिए, तभी जम्मू कश्मीर में शांति बहाली के ठोस कदम उठाए जा सकते हैं। साथ ही शांति बहाली के लिए सभी तबकों व संगठनों से वार्ता भी करते रहना चाहिए।

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