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-संस्कृत विश्वविद्यालय की कुलपति चयन प्रक्रिया विवादों में
jaipur.जगद्गुरु रामानंदाचार्य राजस्थान संस्कृत विश्वविद्यालय की कुलपति चयन प्रक्रिया विवादों के घेरे में आ गई है। यहां यूजीसी नियमों की अनदेखी कर विज्ञापन जारी करने के मामले ने तूल पकड़ लिया है। संस्कृत विश्वविद्यालय में कुलपति का पद 14 फरवरी से खाली हैए जिसका अतिरिक्त चार्ज राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोण् आरण् केण् कोठारी के पास है। कुलपति चयन समिति की 21 अप्रेल को जयपुर में हुई बैठक के बाद विश्श्वविद्यालय ने कुलपति पद के लिए विज्ञापन जारी किया है। विज्ञापन के जारी होते ही यूजीसी नियमों को लेकर कुलपति चयन प्रक्रिया पर सवालिया निशान लगना शुरू हो गए हैं।

प्रदेश में सत्तारूढ भाजपा विधायकों समेत शिक्षक संघ विज्ञापन का विरोध कर राज्यपाल से तत्काल रोक लगाने की मांग कर रहा है। विद्याधर नगर से भाजपा विधायक नरपत सिंह राजवी ने राज्यपाल कल्याण सिंह को पत्र लिखकर विश्वविद्यालय द्वारा कुलपति पद के लिए जारी विज्ञापन को नियम विरुद्ध बताते हुए निरस्त करने की मांग की है। राजवी का कहना है कि पूरे देश के विश्वविद्यालयों के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयेाग ने नियम बना रखे हैंए जिसके तहत कुलपति पद के लिए प्रोफेसर पद पर 10 वर्ष का न्यूनतम अनुभव आवश्यक है। जबकि संस्कृत विश्वविद्यालय में इस नियम की धज्जियां उड़ाई जा रही है। ऐसे में नियमानुसार विज्ञापन जारी करना जरूरी है जिससे योग्य व्यक्ति ही कुलपति बन सके। वहीं छबड़ा से भाजपा विधायक प्रताप सिंह सिंघवी ने संस्कृत शिक्षा मंत्री किरण माहेश्वरी पर संस्कृत विश्वविद्यालय से भेदभाव करने के आरोप लगाए हैं। सिंघवी का कहना है कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के 12 तथा तकनीकि शिक्षा के 2 विश्वविद्यालयों के संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित किए जा चुके हैं। जबकि संस्कृत विश्वविद्यालय संशोधन विधेयक सरकारी सुस्ती के कारण अटका पड़ा है।

इससे विश्वविद्यालय को यूजीसी नियमानुसार कुलपति नहीं मिल पा रहा है। विश्वविद्यालय के शिक्षक संघ अध्यक्ष डॉण् माताप्रसाद शर्मा का कहना है कि हमारी मांग कुलपति नियुक्ति से जुड़ी है। हमने राज्यपाल को चिट्ठी लिखकर यूजीसी रेग्यूलेशन 2010 के 7ण्3ण्0 के तहत कुलपति की नियुक्ति करने की मांग की है। इससे विश्वविद्यालय का राष्ट्रीय स्वरूप बनेगा। विश्वविद्यालय का कहना है कि विज्ञापन जारी करने में विश्वविद्यालय की भूमिका नहीं है। चयन समिति के सदस्यों के निर्देशानुसार विज्ञापन जारी हुआ है। राजभवन से निर्देश मिलेगा तो उसकी तुरंत पालना की जाएगी।

उधर राजस्थान हाईकोर्ट के एडवोकेट तनवीर अहमद का इस मामले पर कहना है कि एक ही प्रदेश में दोहरी नीति नहीं चल सकती। कानून का उल्लंघन करना गलत है। संशोधित विज्ञापन जारी नहीं होने पर मामले को कोर्ट के समक्ष पेश किया जा रहा है। गौरतलब है कि प्रदेश में कुलपतियों को लेकर राजस्थान उच्च न्यायालय ने कई बार सख्ती दिखाई है। राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोण् जेण्पीण् सिंघल को इसी कारण पिछले साल अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। पिछले दिनों ही कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि क्यों नहीं कोटा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोण् पीण्केण् दशोरा और उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविश्वविद्यालय के कुलपति डॉण् उमाशंकर शर्मा की नियुक्तियां रद्द कर दी जाएघ्

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