जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने कहा कि देश के अन्दर आरएसएस एक एक्स्ट्रा कॉन्सटीट्यूशनल अथोरिटी बन चुका है। दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय यही लोग संजय गांधी पर इसी प्रकार के आरोप लगाते थे। जबकि आज आरएसएस खुद एक्स्ट्रा कॉन्सटीट्यूशनल अथोरिटी के रूप में काम कर रहा है, जिसे पूरा मुल्क जानता है, जो चिंताजनक है। आज आरएसएस का सरकार में इतना दखल है कि मुख्यमंत्री हो या प्रधानमंत्री, हर बोर्ड-कारपोरेशन में, सरकार के अन्दर-बाहर कौन रहेगा, वो ही तय कर रहा है। दिल्ली और राज्यों में आरएसएस के लगभग 25 अनुषांगिक संगठनों के लोग सरकारी विभागों में लगे हुए हैं। कोटा में मीडियाकर्मियों से बातचीत करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि अच्छा होगा कि आरएसएस को हिन्दुत्व एवं सांस्कृतिक संगठन के नाम पर लोगों को भ्रमित करने की बजाय राजनीति में खुलकर आना चाहिए और भाजपा को आरएसएस में मर्ज होकर राजनीति करनी चाहिए। परदे के पीछे से राजनीति देश हित में नहीं है।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं में अपनी विचारधारा, नीतियों और कार्यक्रमों के आधार पर भाजपा और आरएसएस से मुकाबला करने का पूरा दमखम है। भाजपा आरएसएस मिलकर अपनी नीतियों और सिद्धान्तों के साथ कांग्रेस से सामना करे तो उचित होगा। श्री गहलोत ने मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की विकास यात्रा पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह चुनरी ओढने, लटके-झटके और महिलाओं को गुमराह करने की यात्रा है। अब महिलाओं से लेकर आम आदमी सब समझ चुके हैं कि वोट लेने के उनके क्या तरीके हैं? मुख्यमंत्री जनता को खूब झांसे दे चुकी है, लेकिन अब चाहे जो कुछ करले, राजस्थान की जनता भाजपा के कुशासन को उखाड फेंकने मानस बना चुकी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों को उपज का वाजिब दाम नहीं मिलने से वो परेशान हैं और आर्थिक विषमता से जूझ रहा है, आत्महत्या के लिए मजबूर हो रहा है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वामीनाथन् रिपोर्ट के आधार पर किसानों की आय दुगनी करने का वायदा किया था लेकिन चार साल गुजरने के बाद भी उसे पूरा करने में विफल रहे हैं। दुगनी आय तो दूर रही किसानों को उनकी उपज का वाजिब मूल्य भी नहीं मिल पा रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सर्राफ के पुत्र पर भ्रष्टाचार के मामले में एसीबी द्वारा केस दर्ज करने की जानकारी मिली है, जो चार वर्ष पूर्व ही दर्ज हो जाना चाहिए था। मुख्यमंत्री की नाक के नीचे उनके मंत्री पुत्र द्वारा जब भ्रष्टाचार किया जा रहा था, पेट्रोल पम्प पर सौदे हो रहे थे, तो उन्होंने कार्यवाही क्यों नहीं की? गहलोत ने कहा कि खनिज महाघोटाले में भी सिंघवी को मुख्यमंत्री द्वारा बचाया जा रहा है।
जानबूझकर यह केस सीबीआई को देने की बजाय लोकायुक्त को जांच के लिये सौंपा गया, ताकि लीपा-पोती करके उन्हें बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि चालीस साल का अनुभव बताता है कि लोकायुक्त अपनी भावना प्रकट कर देते हैं और सरकार कुछ नहीं कर पाती है। अगर सीबीआई को यह केस सुपुर्द किया जाता तो कई लोग जेल जाते। इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री स्वयं भी भयग्रस्त थी क्योंकि उनके चहेते अधिकारी पर आंच आ रही थी। पहले मजबूरी में डर के मारे श्री सिंघवी को निलम्बित किया गया,फिर निलम्बन खत्म किया गया। अब केस समाप्त करने की तिकडम बिठाई जा रही है। जबकि हाईकोर्ट ने इस मामले में कल ही कहा है कि केस खत्म नहीं होगा, चार्जशीट लागू रहेगी। पूर्व मुख्यमंत्री ने बजरी के ऊपर एक प्रश्न के जवाब में कहा कि बजरी अपने आप में बडा मुद्दा है जो इस सरकार को ले डूबेगा। भाजपा सरकार के संरक्षण में बजरी माफियाओं द्वारा गत चार सालों में बजरी को लेकर जो लूट मचाई है, उससे गरीब, मध्यम वर्ग और उच्च वर्ग तक के लोगों के मकान निर्माण की कीमत इसलिए बढ गयी कि बजरी की कालाबाजारी होती रही। उन्होंने कहा कि सरकार के संरक्षण में बजरी माफिया सोना काट रहे हैं और बिना मुख्यमंत्री एवं उनकी सरकार की शह के बिना यह सम्भव नहीं है कि चार साल तक बजरी माफिया लूट मचाये और सरकार देखती रह जाये। जब तक मिलीभगत नीचे से ऊपर तक नहीं हो, ऐसा कभी हो नहीं सकता। इसकी जांच होनी चाहिए।