नई दिल्ली। भाजपा के वरिष्ठ नेता व केन्द्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल माधव दवे का गुरुवार को दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया। वे 61 वर्ष के थे। उनका जन्म 6 जुलाई 1956 को मध्यप्रदेश के उज्जैन स्थित बडऩगर में हुआ। 5 जुलाई 2016 को ही उन्होंने पर्यावरण मंत्री के पद संभाला। इस पद पर रहते हुए उन्होंने नर्मदा नदी के संरक्षण के कार्यों को एक अलग ही पहचान दिलाई। वे पिछले कुछ समय से बीमार होने के कारण दिल्ली एम्स से उपचार ले रहे थे। दवे का राजनीतिक सफर आरएसएस से जुडऩे के बाद से ही शुरू हुआ और भाजपा में सक्रिय राजनीतिक के तौर पर उभरकर सामने आए। उन्हें भाजपा का थिंक टैंक माना जाता था। वर्ष 2009 से ही दवे राज्यसभा में मध्यप्रदेश का प्रतिनिधित्व करते आ रहे थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गुजरात में पूरी हुई। बाद में उन्होंने इंदौर से ग्रामीण विकास एवं प्रबंधन के साथ कॉमर्स में एमए किया। कॉलेज के दिनों से ही उन्हें छात्र नेता के तौर पर पहचान मिली। उन की प्रतिभा को देखते हुए पीएम नरेन्द्र मोदी ने उन्हें अपने मंत्रीमण्डल में जगह दी। दवे ने नर्मदा समग्र नामक संगठन की शुरुआत की तो वर्ष 2004 मे नर्मदा की पहली हवाई परिक्रमा की। मध्यप्रदेश में भाजपा को सत्ता पर काबिज कराने के मामले में उन्हें बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका रही। वे जल संसाधन समिति व सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सलाहकार समिति में शामिल रहे तो ग्लोबल वार्मिंग को लेकर गठित संसदीय समिति के सदस्य थे। होशंगाबाद के स्कूलों में बायो टॉयलेट विकास प्रोग्राम उनकी ही पहल थी। वे अच्छे लेखक भी थे। तभी तो उन्होंने शताब्दी के पांच काले पन्ने, क्रियेशन टू क्रिमेशन, यात्रा वृतंात-राफ्टिंग थ्रू सिविलाइजेशन, सहित कला संस्कृति, राजनीति, प्रशासन, इतिहास से जुड़ी अनेक किताबें भी लिखी।
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