Zee Jaipur Literature Festival 2019
Zee Jaipur Literature Festival 2019

jaipur. ज़ी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के 12वें संस्करण का आरंभ जयपुर की एक सर्द सुबह में, बहुत खुषनुमा माहौल में हुआ। सुबह जल्दी पहुंचने वाले श्रोताओं ने डिग्गी पैलेस होटल के फ्रंट लाॅन में जल्दी से अपनी सीटें संभाल लीं, और अपनी पसंदीदा-हस्तियों, लेखकों और कलाकारों को सुना। श्रोताओं का स्वागत श्रुति विष्वनाथ ने अपनी धाकड़ और दमदार आवाज से किया। पुणे की संगीतकार, रचयिता और संगीतविषारद, जो कर्नाटक और हिन्दुस्तानी परंपरा में प्रषिक्षित हैं। श्रुति के साथ मंच पर थे युजी नाकागवा (सारंगीवादक) और श्रुतेन्द्र काटाग्डे (तबलावादक)। विष्वनाथ ने अपने पहले सुर से श्रोताओं का मन मोह लिया। उन्होंने फेस्टिवल की षुरुआत 17वीं षताब्दी के धार्मिक कवि, तुकाराम के ‘षब्दों’ पर लिखे गीत के साथ की।

संगीत ने आइकोनिक फेस्टिवल के 12वें संस्करण का आगाज किया, जिसे आगे बढ़ाया फेस्टिवल के निर्माता और टीमवर्क आटर््स के प्रबंध निदेषक, संजाॅय के. राॅय ने। उन्होंने जोर दिया कि ऐसे मतभेद के समय में लेखकों को सम्मान दिए जाने की कितनी जरूरत है, और इसके लिए उन्होंने डिग्गी परिवार का भी आभार जताया कि उन्होंने अपने इतने खूबसूरत घर के दरवाजे साहित्यकारों और कलाकारों के लिए खोल दिए। फेस्टिवल का लक्ष्य, उन्होंने बताया, ‘ऐसे समय में जब, भिन्न मत रखने वालों के लिए जगहें कम होती जा रही हैं, तो अभिव्यक्ति के मंच की आवष्यकता और बढ़ जाती है।’ अपनी बात आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा, ‘हमारा प्रयास यह सुनिष्चित करना है कि जिन लोगों को हम ‘‘दूसरा’’ मानकर डरते आए हैं, उनकी बात समझने की कोषिष करें, उनके साथ कुछ समय गुजारें, उनकी लिखा पढ़ें और उनकी खुषी में षामिल हों।’

फेस्टिवल की सह-निदेषक नमिता गोखले ने कहा, ‘भारत में हम एक जबरदस्त साहित्यिक आंदोलन के साक्षी बन रहे हैं,’ जहां 22 भाशाओं की आवाजें अपना आधार तलाष रही हैं और मुख्यधारा के प्रकाषक पहले से कही ज्यादा अनुवाद प्रकाषित कर रहे हैं। यद्यपि फेस्टिवल की जड़ें भारत में ही हैं, लेकिन यह अपने पंख वैष्विक रूप से फैला रहा है और ऐडिलेड, हस्टन, बोल्डर और न्यू याॅर्क तक अपनी छाप छोड़ रहा है। उन्होंने जयपुर बुकमार्क के विकास और पहुंच का भी जिक्र किया, यह फेस्टिवल की बी2बी इकाई है, जो फेस्टिवल के सामांतर ही 23 से 26 जनवरी तक चलेगा।

ज़ी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज लिमिटेड के डोमेस्टिक ब्राॅडकास्ट बिजनेस के सीईओ, पुनीत मिश्रा ने फेस्टिवल के साथ ज़ी की साझेदारी को गर्व का पल कहा। इसने ‘हमारी आस्था वापस से लिखित संसार से जोड़ दी है।’ कला, साहित्य और संस्कृति के राजस्थान मंत्री, बी.डी. कल्ला ने सरकार का आभार जताते हुए कहा कि कैसे ऐसे फेस्टिवल हमारे समाज को इतिहास और संस्कृति से जोड़ते हुए अंधविष्वास पर वार कर रहे हैं।

पुरस्कृत ब्रिटिष कवयित्री और गद्य लेखिका रुथ पेडल, जो सालों से फेस्टिवल से नजदीक से जुड़ी रही हैं, ने उद्घाटन संभाशण दिया। पेडल ने गुलाबी नगरी के बारे में प्यारी सी कविता पढ़ी, जो तुरंत ही षहर से उनका रिष्ता जोड़ देती है। अपनी दूसरी कविता में, उन्होंने ‘नीली हरी षैवाल पर’ कुछ पंक्तियां गुनगुनाईं। उन्होंने बताया कि कैसे पहली आनुवांषिक कोषिका वहीं से उत्पन्न हुई थी।

इसने कैमिस्ट्री के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता, सर वेंकी रामाकृश्णन के कीनोट एड्रेस की भूमिका तैयार कर दी। ‘मानवता और विज्ञान के बीच के विवाद पर बात’ करते हुए उन्होंने बताया, ‘जो लोग विज्ञान और गणित की अनदेखी करते हैं, वो मुझे असभ्य और नीरस मानते हैं।’

रामाकृश्णन ने दबाव दिया कि विज्ञान की भूमिका के ज्ञान के साथ ही हम ज्ञान-सम्पन्न और संसाधन सम्पन्न समाज को रच सकते हैं, जो जलवायु परिवर्तन और डिजिटल सुरक्षा जैसे गंभीर सवालों का सामना कर सकती हैः ‘विज्ञान, प्रमाण-आधारित तथ्यों पर जोर देने की वजह से, वर्तमान के संकटों का सामना कर सकता है।’

क्रिकेट के अलावा भारत में अगर कोई और चीज ध्यान खींचती है, तो वो है धर्म और राजनीति। ज़ी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में ऐसा ही हुआ, जब राजस्थान के डिप्टी चीफ मिनिस्टर सचिन पायलट ने पहली बार मंच संभाला। एनडीटीवी के मैनेजिंग एडिटर, श्रीनिवासन जैन के साथ हुई एक दिलचस्प चर्चा में, राजनेता ने साफगोई से, राजस्थान चुनाव में, भारतीय राश्ट्रीय कांग्रेस की जीत; राजनीति के वर्तमान हालात; भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता; हिन्दू-मुस्लिम एकता; राश्ट्रीय विकास; भेदभाव की राजनीति; और मुद्दों पर आधारित राजनीति पर अपने विचार साझा किए। उनकी बातचीत से पारिवारिक बंधन में रिष्ते और राजनीतिक दलों में वंषवाद के मसले भी उठाए गए। पायलट से, हाल ही में प्रियंका गांधी के मुख्य राजनीति में आने की हलचल पर भी सवाल पूछे गए। जैन ने सबरीमाला मसले पर भी उनके विचार जानने चाहे, उनसे पूछा कि इस मसले उनकी पार्टी के विचार, वर्तमान सरकार से भिन्न कैसे होते। अपने पिछले बयां पर ही दृढ़ रहते हुए, पायलट ने कहा कि यद्यपि उनकी पार्टी धार्मिक पूजा में पुरूशों और महिला की समानता की पक्षधर है, सबरीमाला पर उनका विचार प्रसांगिक व्यवस्था पर आधारित होता, स्त्री-द्वेश पर नहीं।

बी राॅलेट के साथ एक गर्मागर्म सत्र में, उम्र की आठवें दषक में प्रवेष कर चुकीं, साहसिक जर्मेन ग्रीर, जिनकी हालिया किताब है, आॅन रेप, ने इस विशय पर खुलकर अपना मत रखा। निर्भया केस पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि वो सिर्फ बलात्कार नहीं था, बल्कि वो एक हिंसक, निमर्म कत्ल था। ग्रीर की नारीवादी किताब द फीमेल यूनक को प्रकाषित हुए 39 साल हो गए है। ब्रिटेन में महिलाओं के पीड़न के पचासवें साल पर लिखते हुए, ग्रीर ने बताया कि बाद में मिली कामयाबी के बाद भी, उनके मन में पिछली बातों की कड़वाहट बरकरार रही, जब उन्हें नारीवादी लेखन के लिए असम्मान की नजरों से देखा जाता था।

उन्होंने एल्ड्रिज क्लेवर के काम और उनकी किताब, सोल आॅन आइस का भी उदाहरण दिया, जिसमें वो अष्वेत के रस्मी बंधियाकरण जिक्र करते हैं। वो पूछती हैं, ‘एक लड़की ऊर्जा, रचनात्मकता और आवाज के साथ पैदा होती है। फिर वो खामोष कैसे हो जाती है?’

डाॅ. प्रियम्वदा नटराजन, येल यूनिवर्सिटी में एस्ट्रोनोमी और फिजिक्स की प्रोफेसर, ने सत्र में अपनी किताब, मैपिंग द हेवन्सः द रेडिकल साइंटिफिक आइडियाज दैट रिविल द काॅस्मोस पर आधारित व्याख्यान दिया। तारों और आकाष के बारे में सहज षब्दों में बताते हुए, उन्होंने अपने दर्षकों का मन मोह लिया। डाॅ. नटराजन खूबसूरत दृष्यों के माध्यम से अपने दर्षकों को एक अनोखे सफर पर भी ले गईं।

लंच के बाद चारबाग में, प्रकाषक और लेखक ए.जे. फिन अपनी बेस्टसेलर किताब, वूमन इन द विंडो के माध्यम दर्षकों को रोमांच के सफर पर ले गए। सत्र का संचालन कर रही पत्रकार और लेखिका अमृता त्रिपाठी ने सत्र में फिन से व्यक्तिगत और व्यवसायिक कई पहलुओं पर बात करते हुए, मानसिक बीमारी से उनके अपने संघर्श और उसका प्रभाव उनके किरदारों पर पड़ने के बारे में भी बात की। मनोरोगियों के बारे में बात करते हुए, फिन ने कहा, ‘आपके साथ कोई समस्या नहीं है। यह आपके लिए सबसे महत्वपूर्ण पहलु नहीं है, दूसरी महत्वपूर्ण भी नहीं और बीसवां महत्वपूर्ण पहलु भी नहीं। यह बस ऐसे ही कोई सामान्य पहलु है!’
इस बीच, संजाॅय के. राॅय के साथ मंच पर आईं उशा उथुप ने अपने लम्बे संगीत कैरियर और जिंदगी के कई अनुभवों को दर्षकों के साथ साझा किया। अपनी प्रेरक कहानी के साथ ही, अपने जबरदस्त गायन से भी उन्होंने दर्षकों को झूमने पर मजबूर कर दिया।

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