Bombay High Court dismisses petition of Tejpal

पणजी। बंबई उच्च न्यायालय की गोवा पीठ ने तहलका के पूर्व प्रधान संपादक तरुण तेजपाल की वह याचिका आज खारिज कर दी जिसमें उन्होंने अपनी एक पूर्व महिला सहकर्मी की ओर से लगाए गए बलात्कार और अन्य आरोपों को रद्द करने की गुहार लगाई थी । उच्च न्यायालय की गोवा पीठ की न्यायाधीश नूतन सरदेसाई ने तेजपाल की याचिका खारिज की । तेजपाल पर 2013 में गोवा में एक कार्यक्रम के दौरान अपनी सहकर्मी से बलात्कार करने का आरोप है । इससे पहले, मापूसा की जिला अदालत ने तेजपाल के खिलाफ आईपीसी की धाराओं – 354-ए (यौन उत्पीड़न), 376 (बलात्कार) और 376 (2) (किसी प्रभावशाली शख्स द्वारा महिला से बलात्कार) – के तहत आरोप तय किए थे और पिछले महीने मुकदमे की शुरूआत की थी । बाद में अपराध शाखा ने इन आरोपों में आईपीसी की धाराएं – 341 (अनुचित नियंत्रण), 342 (बंधक बनाना), 376 (2) (एफ) (विश्वास की स्थिति में मौजूद पुरुष द्वारा महिला के साथ बलात्कार), 376 (सी) (बड़े पद पर मौजूद व्यक्ति द्वारा यौन संबंध बनाना) और 354 (महिला की शीलभंग करना) जोड़ दी थी ।

उच्च न्यायालय में तेजपाल के वकील प्रमोद कुमार दुबे ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘जिस आदेश के तहत हमारी याचिका खारिज की गयी है , उसकी विस्तृत प्रति हमारे पास उपलब्ध नहीं है, इसलिए हमें कोई जानकारी नहीं है कि किस आधार पर इसे खारिज किया गया है।’’ उच्च न्यायालय में 12 दिसंबर को तेजपाल की तरफ से पेश वरिष्ठ वकील अमन लेखी ने एक फाइव स्टार होटल, जहां महिला का कथित यौन उत्पीड़न हुआ, की लिफ्ट के बाहर की जगह के सीसीटीवी फुटेज अदालत को सौंपे थे । सरकारी वकील सरेश लोटलीकर ने दलील दी थी कि मुकदमा चलाए बगैर तेजपाल के खिलाफ आरोप खारिज नहीं होने चाहिए । तेजपाल की अग्रिम जमानत की याचिका 31 नवंबर, 2013 को अस्वीकार होने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था। बाद में, 19 मई, 2014 को उन्हें उच्चतम न्यायालय ने अंतरिम जमानत दी थी जिसकी अवधि छह सप्ताह के लिये बढाई गयी थी। इसके बाद, शीर्ष अदालत ने एक जुलाई, 2014 को उन्हें जमानत दे दी थी।

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