2018 में जारी वैश्विक आकडों के अनुसार प्रत्येक वर्ष स्तन कैंसर से करीब 1ण्38 मिलियन नए मामले आ रहे हैं सामने, हो रही है 4,58,000 मौतें, स्तन कैंसर जागरूकता माह विशेष
जयपुर।
दुनियाभर में महिलाओं में स्तन कैंसर के रोगियों की संख्या तेजी से बढती जा रही है। अंतराष्ट्रीय कैंसर अनुसंधान संस्था की ओर से 2018 में जारी वैश्विक आकडों के अनुसार प्रत्येक वर्ष स्तन कैंसर से करीब 1ण्38 मिलियन नए मामले सामने आ रहे हैं और 4,58,000 मौतें हो रही है। आकडों के अनुसार इस साल भारत में कैंसर के 11,57,294 नए मरीज रिकॉर्ड होंगे और 8,84,821 मरीजों की मौत होंगी। वहीं इनमें सबसे ज्यादा स्तन कैंसर के मरीज 14 फीसदी बढने की संभावना है। भारत में तेजी से बढते इस रोग का कारण जीवनशैली में आ रहा बदलाव और जागरूकता की कमी है।
भगवान महावीर कैंसर चिकित्सालय एवं अनुसंधान केन्द्र जयपुर के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉ अजय बापना का कहना है कि समय के साथ स्तन कैंसर के उपचार पद्वतियों में महत्वपूर्ण बदलाव आया है जिससे स्तन कैंसर रोगियों को प्रभावी उपचार देने के कारण इसके सकारात्मक परिणाम हासिल किए जा रहे हैं। इसमें कीमोथैरेपी, हार्मोन ट्रीटमेंट ट्रास्टूजुमेब, पार्प इन्हीबिटर व इम्यूनोथैरेपी शामिल हैं। इसके साथ ही रेडियोथैरेपी और शल्यचिकित्सा में भी कई आधुनिक आयाम जुड़े हैं। ऐसे में अगर स्तन कैंसर का निदान शुरूआती अवस्था में हो तो रोगी को कैंसर मुक्त करने की संभावना काफी हद तक बढ जाती है। जिससे यह महिलायें सामान्य जीवन यापन कर सकती है।
-रोग की पहचान है आसान:
स्तन कैंसर की पहचान महिला अपने स्तर पर स्वंय भी कर सकती है। इसके लिए चिकित्सकों की ओर से स्वंय स्तन परिक्षण की सलाह दी जाती है। मैमोग्राफी के जरिए भी इस रोग की पहचान की जाती है। यह एक तरह का एक्स-रे है जिसमें स्तन को दो प्लेट्स के बीच में रखा जाता है जिसमें से एक्स रेज गुजरती हैं जिससे ब्रेस्ट टिशू की पूरी तस्वीर आ जाती है। अल्ट्रासाउंड के जरिए भी स्तनों में होने वाले ट्यूमर व सिस्ट की पहचान की जाती है। अगर उपरोक्त दोनों विधिया संभव नहीं हो तो चिकित्सीय जांच करवाई जा सकती है।
-समय पर पहचान से सरवाइवल 80 फीसदी:
कैंसर रोग मुख्य रूप से चार अवस्थाओं में होता है। प्रथम और दूसरी अवस्था में रोग की पहचान और उपचार की षुरूआत हो जाने पर रोगी को कैंसर मुक्त करने की संभवना 80 प्रतिषत तक बढ जाती है। वहीं तीसरी या अंतिम अवस्था में उपचार की षुरूआत से रोगी की कैंसर मुक्त करने की संभावना काफी कम जाती है। जागरूकता की कमी के कारण देष में अधिकांष रोगियों में रोग की पहचान तीसरी या अंतिम अवस्था में होती है। यही कारण है कि अन्य देषों के मुकाबले भारत में कैंसर से होने वाली मौतों की संख्या सर्वाधिक है।
ऐसे में जरूरी है कि महिलायें स्तन कैंसर से जुडे किसी भी लक्षण की पहचान होने पर बगैर किसी देरी के चिकित्सक की सलाह लेंकर जांच और उपचार करवाए। स्तन में होनी वाली छोटी गांठ भी कैंसर की हो सकती है जिसको नजर अंदाज करने पर रोगी की मौत तक हो सकती है।