जयपुर। स्तन कैंसर के कई मामलों में रोग के पुनरावृत्ति की संभावना रहती है। ऐसे में अगर रोगी पहले स्तन कैंसर उपचार के दौरान ब्रेस्ट रि.कंस्ट्रक्षन करवा चुका हो तो रोग की पुनरावृत्ति पर उसके स्तन को बचाना संभव नहीं था। हाल ही में भगवान महावीर कैंसर अस्पताल के कैंसर सर्जन डॉ प्रशांत शर्माए प्लास्टिक सर्जन डॉ उमेश बंसल और डॉ सौरभ रावत की टीम ने आधुनिक पद्वति से सफल ऑपरेषन कर रोग के पुनरावृत्ति में भी ब्रेस्ट रि.कंस्ट्रक्षन की राह को आसान बना दिया है।

कैंसर सर्जन डॉ प्रषांत शर्मा ने बताया कि एक 42 वर्षीय महिला के बांये स्तन में गांठ का 2 बार ऑपरेशन होने के बाद भी फिर से स्तन में गांठ हो गयी। गांठ बड़ी थी व लगभग पूरे ही स्तन में फैल गयी थी। अतःउपचार के लिये आपरेशन द्वारा पूरा स्तन निकालना आवश्यक था। मरीज से सहमति मिलने पर आपरेशन द्वारा मरीज का बांया स्तन निकाला गया। फिर पेट से चमड़ी व वसा लेकर नया स्तन डाइप तकनीक से बनाया गया। नये स्तन को रक्त पहुंचाने के लिये उसकी रक्त वाहनियों को कांख ;बगलद्ध की रक्त वाहनियों से जोड़ा गया।

प्लास्टिक एंड रि.कंस्ट्रक्टिव माइक्रो वेस्कुलर सर्जन डॉ उमेष बंसल ने बताया कि पहले ब्रेस्ट रि.कंस्ट्रक्षन में ऑटोलोगस डाइप तकनीक से ही ब्रेस्ट रि.कंस्ट्रक्षन किया जाता थाए जिसमें छाती या पीठ की रक्त वाहनियों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में रोग की पुनरावृत्ति पर दोबारा ब्रेस्ट रि.कंस्ट्रक्षन संभव नहीं होता है। हाल ही में हुई सर्जरी में ऑटोलोगस टिष्यू की रक्त वाहिनियों को माइक्रोस्कोप की सहायता से कांख की सूक्ष्म रक्तवाहिनियों से जोडा गया। इससे भविष्य में स्तन कैंसर की पुनरावृत्ति पर पीठ की मांसपेषियों को इस्तेमाल कर पुनःस्तन निर्माण कर सकते है।
डॉ प्रशांत शर्मा ने बताया कि कई बार स्तन कैंसर के उपचार के लिये ऑपरेशन के दौरान पूरा स्तन निकालना पड़ता है। इससे उत्पन्न शारीरिक विकृति महिलाओं को असहज कर देती है व हीन भावना को जन्म देती है। इससे बचने के लिये ब्रेस्ट कन्जरवेशन सर्जरी या ब्रेस्ट रि.कन्सट्रक्शन तकनीक का प्रयोग किया जाता है।

 

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