नयी दिल्ली: सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी पर सस्ती राजनीति करने का आरोप लगाते बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने आज कहा कि उनकी पार्टी राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत सहित मातृभूमि का पूरा-पूरा आदर-सम्मान करती है तथा देशहित को पहली प्राथमिकता देती है। मेरठ नगर निगम चुनाव के बाद बसपा की मेयर सुनीता वर्मा एवं अन्य के शपथ-ग्रहण समारोह को राजनीति का अखाड़ा बनाने की कोशिश करने पर भाजपा की तीखी आलोचना करते हुये मायावती ने कहा कि शपथ-ग्रहण समारोह के कार्यक्रम को सरकारी अधिकारियों को कानून के हिसाब से संचालित करने के लिये छोड़ देना चाहिये था, ताकि सब कुछ सुचारु रुप से हो सके। मगर भाजपा के सदस्यों ने इसके बजाय इसे अपने हिसाब से संचालित करने के क्रम में बसपा के विरुद्ध नारेबाजी शुरु कर दी और इसी दौरान वन्दे मातरम भी गाना शुरु कर दिया। ऐसे लोग समझ ही नहीं पाये कि इस अफरातफरी में देशगान भी गाया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि ऐसे समय में अगर नवनिर्वाचित मेयर सुनीता वर्मा स्वयं खड़ी नहीं हो पायीं तो कम-से-कम अधिकारियों को इसका संज्ञान लेकर उनको बताना चाहिये था कि वन्दे मातरम गाया जा रहा है। मायावती ने कहा कि लोकतान्त्रिक परम्पराओं के निर्वहन में बसपा कभी किसी से पीछे नहीं रही है और इसी कारण संसद व विधानसभा के उद्घाटन सत्र में राष्ट्रगान एवं राष्ट्रगीत की परम्परा का पूरी तरह से अनुपालन सुनिश्चित किया है।….मेयर एवं पार्षदों के शपथ-ग्रहण समारोह का भाजपा द्वारा अव्यवस्था फैलाकर इसको बसपा के खिलाफ राजनीति के अखाड़े के रुप में इस्तेमाल करके पार्टी को बदनाम करने की कोशिश की। यह सर्वथा ग़लत व अशोभनीय है जिसकी बसपा कड़े शब्दों में निन्दा करती है।
उन्होंने कहा कि इतना ही नहीं बल्कि यह भी सर्वविदित ही है कि बसपा संविधान कानून एवं लोकतान्त्रिक परम्पराओं के साथ-साथ देशहित को सर्वोंपरि रखती है। यह बाबा साहेब डा. अम्बेडकर की सीख है जबकि भाजपा धर्म, देशभक्ति, राष्ट्रवाद, राष्ट्रगान, राष्ट्रगीत आदि के नाम पर सस्ती राजनीति करके इन मुद्दों को विवाद का विषय बनाती रही है। हालांकि देशहित की माँग है कि इन मामलों को पूरा-पूरा सम्मान देते हुये इन पर किसी भी प्रकार का कोई विवाद पैदा नहीं किया जाये।
मायावती ने कहा कि शहरी निकाय के चुनाव में सत्ताधारी पार्टी होने व सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग करने के बावजूद बीजेपी के 45 प्रतिशत अर्थात लगभग आधे प्रत्याशी अपनी ज़मानत तक नहीं बचा पाये हैं, जिसका क्रोध एवं खीझ उन्हें बसपा पर निकालने के बजाय उन्हें अपने अन्दर झाँक कर देखना चाहिये कि जनता उनसे इतनी ज़्यादा आक्रोशित क्यों हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि शहरी निकाय चुनाव के बाद इस प्रकार की सस्ती राजनीति की शुरुआत स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने की जब उन्होंने केवल भाजपा के विजयी मेयरों को ‘प्रधानमंत्री निवास’ में दावत पर बुलाया। भाजपा मेयरों के लिये अगर यह कार्यक्रम भाजपा के मुख्यालय में आयोजित किया जाता तो ठीक था। मगर प्रधानमंत्री निवास को भी राजभवन की तरह भाजपा एवं आरएसएस की गतिविधि के लिये इस्तेमाल किया जाने लगेगा तो फिर भाजपा द्वारा इस तरह के मामले सामने आयेंगे।