नई दिल्ली। केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा संसद में वर्ष 2017-18 का बजट पेश किया। केन्द्र सरकार के इस बजट पर विपक्ष ने चीर-परिचित अंदाज में तीखी प्रतिक्रिया दी। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बजट को लेकर सीधे मोदी सरकार को निशाने पर लिया। राहुल ने कहा कि हमें तो इस बार आतिशबाजी की उम्मीद थी, लेकिन बुझा हुआ बारूद ही मिला। यह शेरो शायरी का बजट है, इसमें किसानों और युवाओं के लिए कुछ भी नहीं किया गया। किसानों का कर्जं माफ करने की जरूरत थी। मुख्य मुद्दों पर कोई गहरी चीज नहीं बोली। राजनीतिक फंडिंग के मामले में स्वच्छता लाने को लेकर उठाए गए हर कदम का कांग्रेस समर्थन करेगी। मल्लिकाजुज़्न खडग़े ने कहा कि रेल बजट को मिलाकर उसका महत्व खत्म कर दिया। बड़ी मछली छोटी मछली को खा गई। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने बजट को केवल एक भाषणबाजी बताया। उन्होंने कहा कि बजट में नंबर बढ़ते नहीं दिख रहे क्योंकि सरकारी योजनाओं पर काफी ज्यादा खर्च है। यह एतिहासिक तो है लेकिन नौकरी पैदा करने के मामले में कम महत्वपूर्ण है। रेलवे को कम ही महत्व दिया गया। रेणुका चौधरी ने कहा रक्षा पर खर्च को लेकर प्रभावी घोषणा नहीं की गई। भाजपा के नेता यूपी के चुनाव कैसे लड़ रहे हैं। क्या उन्हें चंदा चेक या डिजिटल पेमेंट से लिया है। भाजपा की प्रमुख सहयोगी पार्टी माने जाने वाली शिवसेना ने भी बजट पर सवाल उठाए। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने हर वर्ष बजट पेश करने की जरुरत क्या है? पिछले साल की गई घोषणाएं क्या पूरी हो गई? एसोचेम के जनरल सेक्रेटरी डीएस रावत ने कहा कि यह एक मिक्स बजट है। निवेश को लेकर इंडस्ट्री को काफी उम्मीदें थीं। भाजपा नेता और केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी ने बजट को ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि इसका असर लंबे समय तक रहेगा। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि महिलाओं और गरीबों को समर्पित बजट है। राजनीति में पारदर्शिता लाने के वादे को पीएम ने पूरा किया। रेलमंत्री सुरेश प्रभु ने कहा है कि यह एक पाथ ब्रेकिंग बजट है एक नए युग की शुरुआत हो गई है।

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