मुंबई : शिवसेना ने आज कहा कि बजट 2018-19 में ग्रामीण क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया जाना इस बात का स्पष्ट संकेत है कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार गुजरात चुनाव के परिणाम से सचेत हो गई है और उसे यह एहसास हो गया है कि ग्रामीण उससे दूर जा रहे हैं। पार्टी ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में छपे एक संपादकीय में भी कहा कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कल पेश किए गए बजट में पुरानी योजनाओं को ही नए तरीके से रखा।
शिवसेना ने कहा, ‘‘देश को सपने बेचकर सत्ता में आई सरकार ने एक बार फिर सपनों की भूल भुलैया सामने रखी है। वित्त मंत्री द्वारा पेश किए गए बजट में पुराने सपने और पुरानी घोषणाएं हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वित्त मंत्री का पूरा भाषण दबाव तले था।’’ पार्टी ने कहा कि पिछले तीन-चार वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था की गति धीमी हुई है और सरकार की नीतियों ने उसे और पंगु बना दिया है। बजटीय भाषण में यह दबाव स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा था।
उसने कहा कि आम आदमी को राजकोषीय घाटे, आयात और निर्यात जैसी तकनीकी बातें समझ नहीं आती। वह बस यह जानना चाहता है कि बजट के बाद महंगाई कम होगी या नहीं। पार्टी ने कहा, ‘‘लेकिन ‘महंगाई’ शब्द का उल्लेख भी नहीं किया गया। कांग्रेस के नेतृत्व वाली पूर्ववर्ती सरकार महंगाई के कारण हारी थी और लोगों को उम्मीद थी कि नई सरकार उनका जीवन बेहतर बनाएगी।’’
उसने कहा, ‘‘लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। नोटबंदी के जरिए अर्थव्यवस्था की हालत और खराब करने वाली सरकार के पास लोगों को देने के लिए अब कुछ बचा नहीं है।’’ शिवसेना ने कहा कि बजट का वास्तविक क्रियान्वयन करना सरकार की असल परीक्षा होगी।
उसने कहा, ‘‘गुजरात चुनाव के बाद सत्तारूढ़ पार्टी को यह एहसास हो गया है कि ग्रामीण लोग उससे दूर जा रहे हैं। यह स्पष्ट है कि गुजरात चुनाव परिणाम ने सरकार के लिए खतरे की घंटी बजा दी है और इसलिए इस बजट में ग्रामीण जनसंख्या पर ध्यान केंद्रित किया गया है।’’