लखनऊ। बुलंदशहर में सुबोध कुमार सिंह सहित दो लोगों की हत्या का मामला तूल पकड़ता जा रहा है और उत्तरप्रदेश की योगी सरकार इसमें घिरती नजर आ रही है। देश के सभी समाचार-पत्रों और टीवी न्यूज चैनलों में इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया जा रहा है। जिस तरीके से इस केस में छानबीन चल रही है लोगों में उससे काफी रोष है। और अब इस कड़ी में 83 रिटायर्ड ब्यूरोक्रेट्स ने सीएम योगी आदित्यनाथ से इस्तीफे की मांग की है। पूर्व अधिकारियों ने खुला खत लिखकर इस्तीफा मांगा है। ये सभी अधिकारी 4 से 5 साल पहले रिटायर हुए हैं जिन्होंने योगी सरकार पर बुलंदशहर हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध सिंह की हत्या की जांच के बजाय इसे गोकशी के आरोपियों की तरफ मोड़ने का आरोप लगाया है। इन सभी अधिकारियों का कहना है कि पुलिस हिंसा फैलाने के आरोपियों के बजाय गोकशी के आरोपियों को पकड़ने में जुटी है जबकि हिंसा के नामजद आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार नहीं किया गया है। उनका कहना है कि सरकार और खुद मुख्यमंत्री ने इसे सांप्रदायिक अजेंडे के तहत फैलाई गई हिंसा माना था और इस बारे में काफी विस्तार से चर्चा हुई थी।
बावजूद इसके अब सारा फोकस गोकशी और इसके आरोपियों की तरफ शिफ्ट हो गया है। इस वजह से घटना की ठीक तरह से जांच नहीं हो पा रही है। बता दें कि बुलंदशहर हिंसा के बाद हुई समीक्षा बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ ने माना था कि यह हिंसा किसी सांप्रदायिक साजिश का हिस्सा था। हालांकि बाद में उन्होंने इस हिंसा को महज एक घटना बताया था। समीक्षा बैठक में भी सीएम योगी ने पूरा ध्यान अवैध गोकशी की तरफ केंद्रित किया था और इंस्पेक्टर की हत्या का विषय इससे नदारद था जिसको लेकर उनकी काफी आलोचना भी हुई थी। उधर, बुलंदशहर हिंसा में आरोपियों पर कार्रवाई चालू है और एक आरोपी विशाल त्यागी ने पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया है। हालांकि अब भी मुख्य आरोपी योगेश राज फरार है और पुलिस के लिए उसको गिरफ्तार करना एक चुनौती बना हुआ है। पुलिस ने बताया कि अब सभी 18 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
एसएसपी बुलंदशहर प्रभाकर चौधरी ने बताया, ‘सोमवार को विशाल त्यागी ने कोर्ट में सरेंडर कर दिया उसके बाद मुख्य न्यायिक मैजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने उसे जेल भेज दिया है। विशाल के सरेंडर होने के बाद अब बुलंदशहर हिंसा के 18 आरोपी जेल भेजे जा चुके हैं।’ इसके बाद मंगलवार को पुलिस ने नदीम, रईस और काला नाम के तीन लोगों को गोकशी के आरोप में गिरफ्तार किया। आरोप है कि इन्हीं तीनों ने 1 दिसंबर की रात गोकशी की थी और 2 दिसंबर की रात महाव गांव में गोमांस फेंका था, जिसके बाद 3 दिसंबर को हिंसा भड़की थी।