इंदौर। देश की रक्षा करने वाले बहादुर सैनिकों के लिए सभी के मन में सम्मान है, क्योंकि इनकी वजह से ही हम और हमारा देश सुरक्षित है। वर्ष 1971 के भारत पाक युद्ध में अपनी बहादुरी का जलवा दिखाने वाले खाजु खान इंदौर की़ शान है। कैफे भड़़ास ने सीमा पर तैनात जवानों के प्रति अपना सम्मान प्रकट करते हुए बहादुर पूर्व सैनिक का जन्मदिन कैफे भडा़स पर मनाया। खाजु खान भारतीय सेना के बाम्बे इंजीनियरिंग ग्रुप के सदस्य थे फ्रन्ट पर यही टुकड़ी सबसे आगे रहती है। युद्ध के अलावा बम डिफ्युज करना तथा नदी पर तत्काल पुल बनाने जैसे काम भी यही टुकड़ी करती हैं।1971 के भारत पाक युद्ध में खाजु खान दुश्मनों का पीछा करते हुए ये 18 किलोमीटर अंदर तक चले गए और दुश्मनों को परास्त कर लौटे। भारतीय सेना के अनुशासित सिपाही खाजु खान घर में भी अनुशासन प्रि? और समय के पाबंद है। वर्ष 1949 में जन्में खाजु खान आज भी पांच किलोमीटर प्रात: की सैर करते हुए नियमित जीवन शैली के साथ पक्के नमाजी है।
कैफे भड़ास के अतुल मलिकराम ने बताया कि हमने 22 अक्टुबर को पूर्व सैनिक खाजु खान साहब को उनके जन्मदिन पर कैफे भड़़ास पर आमंत्रित किया। विदेशो में सैनिको का इतना सम्मान किया जाता है कि वे जिधर से भी गुजरते है लोग खडे़ होकर अपना आदर भाव प्रकट करते है। सैनिको के प्रति सम्मान प्रकट करने का हमारा यह छोटा सा प्रयास है। खाजु खान कैफे पर आकर बहुत प्रसन्न हुए, यहां पर उन्होंने केक काटकर अपना जन्मदिन मनाया। उनके परिजन भी कैफे भड़ास के आतिथ्य से प्रसन्न थे और यहां के स्वादिष्ट व स्वास्थवर्धक व्यंजनों का लुत्फ उठाया। खाजु खान के सम्मान से अभिभूत उनकी पत्नी ने बताया कि मुझे हमेशा अपने पति के फौजी होने का गौरव रहा है। फौज की पत्नी के दायित्व भी बढ़ जाते है और वह हमेशा आम पत्नियों को खास महसूस कराती है। मेरे पति ने सीमा पर देश की रक्षा के लिए संघर्ष किया, इसका मुझे गर्व हैं।फौजी सीमा पर दुश्मनों का मुकाबला करते हैं और हम बीवियां घर,परिवार और बच्चों के लिए अकेले जुझती हैं, पर देश के लिए कुछ करने की भावना हमें हौसला देती है।
पूर्व सैनिक खाजु खान ने कैफे भड़ास को धन्यवाद देते हुए कहा कि मुझे प्रसन्नता है कि आपने मुझे याद किया और मेरे लिए जन्मदिन का जश्न आयोजित किया। कैफे भडा़स को देखकर मुझे बहुत अच्छा लगा यहां पर इतनी सारी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई है।कैफे भड़़ास फौजी कक्ष देखकर मुझे बहुत अच्छा लगो हाथ में बन्दुक लेकर मैंने एक बार फिर लडा़ई के उन पलों को ताजा किया।एंगर एक्सप्रेशन, सकारात्मकता, लायब्रेरी व अन्य सभी गतिविधियां आज की जीवन शैली की जरुरत है।कैफे के संचालक अतुल बधाई के पात्र है मैं देश के युवाओं से कहना चाहता हूँ कि सीमा पर सैनिक दुश्मनो से लड़ते है लेकिन देश के अंदर आप सजग व सर्तक रहकर देशविरोधी गतिविधियों को रोककर अपनी देशभक्ति का परिचय दें।