-विधानसभा सत्र पर राज्यपाल कलराज मिश्र ने गहलोत सरकार को घेरा
जयपुर. अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारी सम्मेलन के समापन समारोह में राज्यपाल कलराज मिश्र ने राज्य सरकार को निशाने पर लिया है। विधानसभा के सत्र का सत्रावसान नहीं करने को लेकर राज्यपाल ने राज्य सरकार को खरी-खरी सुनाई। राज्यपाल ने कहा- राज्य सरकार की सिफारिश पर विधानसभा का सत्र बुलाने का अधिकार राज्यपाल को होता है। असेंबली सेशन का सत्रावसान नहीं कर सीधे सत्र बुलाने की जो परिपाटी बन रही है, वह लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के लिए घातक है। इससे विधायकों को तय संख्या में सवाल पूछने के अलावा अवसर नहीं मिलते हैं। विधायक सवाल नहीं पूछ सकते। विधान सभा में 2 दिवसीय स्पीकर्स सम्मेलन के समापन समारोह में गुरुवार को राज्यपाल ने कहा, विधानसभा सत्र का सत्रावसान नहीं होने का विधायकों को नुकसान होता है। सवाल पूछने का मौका नहीं मिलने से संवैधानिक प्रक्रियाएं पूरी नहीं होती हैं। राज्यपाल ने सरकार को नसीहत देते हुए कहा, विधानसभाओं का विधिवत सत्रावसान हो और नया सत्र बुलाया जाए। इस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। राज्यपाल कोई व्यक्ति नहीं है, वह संवैधानिक संस्था है। उसे जब संवैधानिक आधार पर यह संतुष्टि हो जाती है कि कोई बिल या अध्यादेश औचित्यपूर्ण है, तभी वह उसे मंजूरी देता है। राज्यपाल ने कहा सदन की बैठकों की कम होती संख्या चिंता की बात है। इससे जनता की समस्याओं को उठाने का समय नहीं मिल पाता है। सदन में प्राइवेट मेंबर बिल को बढ़ावा दिया जाए। बिल पारित करने के कारण जल्दबाजी में निपटाए जाते हैं। इससे कानून प्रभावी नहीं हो पाते। सदन में कई बार हंगामे के बीच बिल पारित किए जाते हैं, कुछ पता ही नहीं लगता। यह सही नहीं है। सचिन पायलट खेमे की बगावत के समय जुलाई 2020 में विधानसभा सत्र बुलाने को लेकर सरकार और राजभवन में विवाद हो गया था। सीएम गहलोत ने समर्थक विधायकों के साथ राजभवन में धरना दिया। तब असेंबली सेशन बुलाने की मंजूरी राज्यपाल के स्तर से दी गई थी। उस घटना के बाद से विधानसभा सत्र का सत्रावसान नहीं करके उसे कंटीन्यू रखा जा रहा है।
– देश में बने सोशल सिक्योरिटी कानून:अशोक गहलोत
सीएम अशोक गहलोत ने सम्मेलन के समापन सत्र में सरकार की फ्लैगशिप योजनाओं को गिनाते हुए इन्हें पूरे देश में लागू करने की मांग दोहराई। गहलोत ने कहा- हमारी चिरंजीवी स्कीम अनूठी है। इसे देश भर में लागू किया जाए। राइट टू हेल्थ कानून पूरे देश में लागू हो। अब वक्त आ गया है कि सोशल सिक्योरिटी एक्ट बने। दुनिया के विकसित देशों में हर सप्ताह पैसा मिलता है। जरूरतमंदों का भरण-पोषण करना सरकार की जिम्मेदारी है। लोकसभा स्पीकर यहां बैठे हैं। वे पीएम मोदी से कहकर सोशल सिक्योरिटी कानून बनवाएं। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा- सरकारें सदन में एक घंटे पहले बिल लाती हैं। कानून बनने से पहले पर्याप्त समय मिलना चाहिए। देश की जनता के हित के कानून तभी बनेंगे, जब कानून बनाने की पूरी प्रक्रिया में समय मिलेगा। जनता से संवाद किया जाएगा। कानूनों पर जितनी डिबेट होगी, उतना ही अच्छा कानून बनेगा। विधानसभाओं में बैठकों का समय घट रहा है। विधानसभा की समितियों को और मजबूत बनाना होगा।
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