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जयपुर, विधि सं.। गोविन्दगढपंचायत समिति में मलिकपुर ग्राम पंचायत में नियम विरुद्ध चारागाह भूमि का भू-उपयोग परिवर्तन करने, बाद में विक्रय करने तथा उस पर निर्माण कार्य होने के मामले में राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश के एस झवेरी और न्यायाधीश वी के व्यास की खंडपीठ ने प्रमुख राजस्व सचिव, जिला कलक्टर जयपुर, चौमूं तहसीलदार, मलिकपुर व गोविन्दगढ़ ग्राम पंचायतों के सरपंच सहित अन्य को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।

इस संबंध में नरेन्द्र ने जनहित याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि मलिकपुर की पुराना खसरा नंबर 364 की 74 बीघा भूमि विक्रम सम्वत् 2012 के गिरदावरी रिकॉर्ड में गोचर भूमि के रुप में दर्ज थी। उपरोक्त भूमि को श्मशान, स्कूलों के खेल मैदान सहित अन्य सार्वजनिक कामों में लिया जा रहा है। लेकिन बाद में राजस्व विभाग के कर्मचारियों से मिलीभगत कर इस भूमि का भू-उपयोग बदल कर अवैध रूप से कागाजों में आवंटन किया गया। इस भूमि में से 24 जुलाई, 1968 को 57 बीघा जमीन की खातेदारी मोहन सिंह के पक्ष में की गई। बाद में 32 बीघा भूमि मोहनसिंह ने बेच दी।

याचिकाकर्ता का आरोप है कि मोहनसिंह के वारिसों ने शेष 24 बीघा से अधिक भूमि का तीन चौथाई हिस्सा पूर्व उपराष्ट्रपति स्वर्गीय भैंरो सिंह शेखावत की पत्नी सूरजकंवर को बेच दिया। सूरजकंवर की मौत होने पर यह भूमि नरपतसिंह राजवी के पुत्र एवं शेखावत के दत्तक पुत्र विक्रमादित्यसिंह के नाम पर दर्ज हुई और करीब एक साल पहले इस भूमि को बिल्डर्स को बेच दिया गया। याची ने कलक्टर के समक्ष अभ्यावेदन दिया था, लेकिन भूमि को चारागाह नहीं मानते हुए उसकी आपत्तियों को खारिज कर दिया।

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