नयी दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने हिरासत में मौत के एक मामले में आज दिल्ली पुलिस के छह अधिकारियों को आठ-आठ साल कैद की सजा सुनाते हुए कहा कि पुलिसकर्मियों से कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने की उम्मीद की जाती है, न कि कानून व्यवस्था को अपने हाथ में लेने की। न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति आईएस मेहता की पीठ ने इन छह पुलिसकर्मियों की दोषसिद्धि में संशोधन किया और अपराध को हत्या के अपराध से बदलकर गैर इरादतन हत्या के अपराध में तब्दील कर दिया तथा उनकी उम्रकैद की सजा को घटाकर आठ साल की कैद में तब्दील कर दिया।
अदालत ने कहा कि पुलिसकर्मियों से उम्मीद की जाती है कि वे नागरिकों के जीवन और स्वतंत्रता की रक्षा करने को ध्यान में रख जिम्मेदारी से काम करें। इसने उल्लेख किया कि कुछ दोषी लगभग छह साल जेल में रह चुके हैं और उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया था। पुलिसकर्मियों की अपीलों का निपटारा करते हुए अदालत ने कहा, ‘‘ये सभी वर्दीधारी पुलिसकर्मी हैं जिनसे कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने की उम्मीद की जाती है, न कि कानून व्यवस्था को अपने हाथों में लेने की।
उनसे नागरिकों की रक्षा और स्वतंत्रता को ध्यान में रख जिम्मेदारी से काम करने की उम्मीद की जाती है।’’ दोषी ठहराए गए पुलिसकर्मियों में अविनाश कुमार, कुलदीप सिंह, सहेंशेर पाल, सुशील कुमार, रमेश चंद और छोटे लाल शामिल हैं। इन पुलिसकर्मियों ने 1995 में दिलीप चक्रवर्ती नाम के व्यक्ति की हिरासत में हुई मौत के मामले में वर्ष 2000 में निचली अदालत द्वारा खुद को दोषी ठहराए जाने के खिलाफ अपील की थी।