जयपुर। पृथ्वीराज नगर की आवासीय कॉलोनियों में विकास कार्य नहीं होने और विकास कार्यों के प्रति जेडीए की अनदेखी को लेकर दायर पीआईएल राजस्थान हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नान्द्रजोग की मुख्यपीठ ने स्वीकार कर ली है। मुख्यपीठ ने इस मामले को हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की उस लार्जर बैंच को भेजने के आदेश दिए, जिसमें पृथ्वीराज

के नियमन, प्रदेश के प्रमुख शहरों के मास्टर प्लान समेत अन्य प्रकरणों में सुनवाई चल रही है। पृथ्वीराज नगर जन अधिकार संघर्ष समिति के अध्यक्ष एडवोकेट घनश्याम सिंह और एडवोकेट राजेश महर्षि की जनहित याचिका को स्वीकार करते हुए मुख्यपीठ ने बुधवार को यह आदेश दिया है।
जनहित याचिका में बताया कि हाईकोर्ट के आदेश पर पृथ्वीराज नगर की सैकड़ों कॉलोनियों का नियमन हुआ। नियमन और विकास कार्यों के पेटे पृथ्वीराज नगर के लोग करीब नौ सौ करोड़ रुपए जेडीए में जमा करा चुके हैं। इतनी बड़ी राशि देने के चार साल बाद भी पृथ्वीराज नगर की अधिकतर कॉलोनियां सड़क, सीवरेज, पेयजल, सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं से तो वंचित है ही साथ ही कॉलोनियों में गुजर रही हाइटेंशन लाइनों को भी नहीं हटाया गया है। इससे सैकड़ों परिवारों के सिर पर जान का खतरा मंडराया हुआ है। सड़क नहीं होने से लोगों को आने-जाने में परेशानी हो रही है। जलदाय विभाग की ओर से ना तो पेयजल लाइनें बिछाई गई हैं और ना ही पेयजल आपूर्ति की जा रही है। हजारों परिवारों को निजी ट्यूब वैल के जरिए महंगी दरों पर पानी लेना पड़ रहा है और वह पानी भी शुद्ध नहीं है।
लोग फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर है। याचिका में पीआरएन कॉलोनियों के विकास पेटे जमा अरबों रुपयों को यहां के विकास कार्यों में खर्च करवाने, सुनियोजित विकास कार्य करवाने की गुहार की है। याचिका में मुख्य सचिव, यूडीएच सचिव और जेडीसी को पक्षकार बनाया है। जोधपुर में लॉर्जर बैंच अब पीआरएन विकास कार्य पर भी सुनवाई करेगी।