नई दिल्ली। केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने स्टिंग ऑपरेशन के दौरान रुपए लेने के मामले में तृणमूल के 12 राजनेताओं सहित एक आईपीएस अधिकारी के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। दो वर्ष पूर्व लोकसभा चुनाव के दौरान न्यूज वेबसाइट नारद डॉट कॉम ने एक स्टिंग ऑपरेशन कराया था। उस दरम्यान वेबसाइट ने दावा किया था कि तृणमूल कांग्रेस के शीर्ष 12 नेताओं (जिनमें कई सांसद, मेयर, मंत्री व पुलिस अधिकारी शामिल थे) को एक कल्पित कंपनी इम्पैक्स कंसल्टेंसी के प्रतिनिधि से तथाकथित तौर पर रुपए लेते दिखाया गया था। यह वीडियो सामने आने के बाद पश्चिम बंगाल की राजनीति में सनसनी फैल गई थी। नारद के इस वीडियो में कोलकाता नगर निगम मेयर शोभन चटर्जी को यह बोलते हुए सुना गया कि वह कंपनी प्रतिनिधियों को चुनाव के बाद सीएम ममता बनर्जी से मिला देंगे। वीडियो में उन्हें तौलिए में ली गई रकम को लपेटते हुए दिखाया गया था। इस मामले में 17 मार्च को कोलकाता हाईकोर्ट की खंडपीठ ने सीबीआई जांच के आदेश दिए और जांच के बाद जरुरी होने पर एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए। इस फैसले के खिलाफ राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की तो सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा व एक माह के भीतर रिपोर्ट दर्ज करने के निर्देश दिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की मियाद पूरी होने से पहले ही सीबीआई ने 13 आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली। इनमें आईपीएस मोहम्मद अहमद मिर्जा, पूर्व केन्द्रीय व रेल मंत्री मुकुल राय, पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री सुब्रत मुखर्जी, पूर्व केन्द्रीय मंत्री व सांसद सुल्तान अहमद, पूर्व केन्द्रीय मंत्री व सांसद सौगत राय, परिवहन मंत्री शुभेंदु अधिकारी, सांसद कोकोली घोष दस्तीदार, सांसद प्रसून बनर्जी, मेयर शोभन चटर्जी, पूर्व परिवहन मंत्री मदन मित्रा, विधायक इकबाल अहमद, शहरी विकास मामलों के मंत्री फिरहाद हकीम व तृणमूल कांग्रस सांसद अपूर्वा पोद्दार शामिल है। हालांकि उस दरम्यान भाजपा व कांग्रेस व वामदलों ने टीएमसी को घेरा। फिर भी टीएमसी को बहुमत मिल गया व ममता बनर्जी की सरकार बन गई थी।
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