CBI's hand behind JNU student's disappearance still a year
नयी दिल्ली। जेएनयू में कुछ अन्य छात्रों के साथ झड़प के बाद परिसर से लापता हुये छात्र नजीब अहमद की गुमशुदगी को एक साल पूरे हो गये हैं लेकिन दिल्ली पुलिस से जांच अपने हाथ में लेने वाले केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के हाथ अब भी खाली हैं। दिल्ली उच्च न्यायालय ने नजीब के रहस्यमयी हालात में गायब होने के मामले में पहले दिल्ली पुलिस पर जांच में तेजी लाने के लिये दबाव डाला। पुलिस की जांच की प्रगति से संतुष्ट नहीं होने पर अदालत ने इस साल 16 मई को जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो को सौंप दी थी। एमएससी बायोटेक्नोलॉजी का छात्र 27 वर्षीय नजीब 15 अक्तूबर 2016 को जेएनयू परिसर के माही-मांडवी हॉस्टल से लापता हो गया था। उसकी तलाश में परिवार के लोग अब भी जुटे हुये हैं। दोस्तों और परिवार के लोगों के मुताबिक, नजीब की कुछ उन छात्रों से बहस हुई थी जो कथित तौर पर भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े हुये थे।

नजीब के लापता होने के करीब एक महीने बाद उसकी मां फातिमा नफीस ने दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर पुलिस को उनके बेटे की तलाश के लिये निर्देश देने की मांग की थी। उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस को तत्काल सभी पहलुओं की जांच करने और युवक की तलाश करने को कहा था। अदालत ने कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी से कोई भी ऐसे ही गायब नहीं हो सकता। हालांकि करीब 600 से ज्यादा कर्मियों और खोजी कुत्तों की मदद लेने के बाद भी पुलिस इस मामले में कोई भी सुराग पाने में नाकाम रही थी। इस मामले में परिवार की तरफ से सीबीआई जांच की मांग को लेकर किये जा रहे अनुरोध पर अदालत ने 16 मई को मामला जांच एजेंसी को सौंप दिया। हालांकि तमाम कोशिशों के बावजूद लापता नजीब का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है।

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